धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर, मां लक्ष्मी और आरोग्य के देवता धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन की गई खरीदारी से धन में 13 गुना वृद्धि होती है।
2025 में धनतेरस की तिथि और दिन
इस साल धनतेरस 19 अक्टूबर 2025, शनिवार को पड़ रही है। इस दिन विशेष रूप से सोना, चांदी, तांबे के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान और वाहन खरीदना शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त
धनतेरस के दिन खरीदारी और पूजा के लिए कुछ खास मुहूर्त हैं:
सुबह का शुभ काल (चौघड़िया मुहूर्त): 7:49 AM से 9:15 AM तक
अमृत काल: 10:40 AM से 12:06 PM तक
लाभ-उन्नति काल: 1:51 PM से 3:18 PM तक
इन समयों में कोई भी शुभ कार्य या खरीदारी करने से अधिक फल मिलता है।
धनतेरस पूजा विधि
घर को साफ करें और मुख्य दरवाजे पर रंगोली और दीपक सजाएं।
लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर लक्ष्मीजी, कुबेरजी और धन्वंतरि की प्रतिमाएं रखें।
प्रतिमाओं का गंगाजल से अभिषेक करें।
इसके बाद अक्षत, पुष्प, दीप और धूप अर्पित करें।
तिजोरी, खाता-बही और व्यवसाय के दस्तावेज की पूजा करना शुभ माना जाता है।
शाम को यमराज के नाम से दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए।
धनतेरस के मंत्र
लक्ष्मी मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः॥
कुबेर मंत्र: ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः॥
धन्वंतरि मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलशहस्ताय सर्वभयविनाशनाय नमः॥
इन मंत्रों का जप करने से धन वृद्धि, स्वास्थ्य लाभ और समृद्धि प्राप्त होती है।
शुभ फल प्राप्ति के उपाय
धनतेरस की शाम मुख्य द्वार पर 13 दीपक जलाएं।
घर के मंदिर में 11 बार श्री सूक्त का पाठ करें।
मंत्र ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् का जप करें।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस को धनत्रयोदशी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन की गई सोना-चांदी, बर्तन या नई वस्तु की खरीदारी घर में लक्ष्मी का वास करती है और पूरे वर्ष धन-धान्य की वृद्धि होती है। यह पर्व न केवल समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य और खुशहाली का भी संदेश देता है।