हम सभी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कहीं न कहीं प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटे-छोटे माइक्रोप्लास्टिक के कण हमारे शरीर में जाकर सेहत पर असर डाल सकते हैं? हाल ही में हुई रिसर्च में पाया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक में मौजूद कुछ रसायन जैसे BPA और फ्थेलेट्स हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं। खासकर यह इस्ट्रोजन हार्मोन को बदल सकते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ाने में मदद करता है।
रिसर्च के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक सीधे ब्रेस्ट कैंसर का कारण नहीं बनते, लेकिन इसमें मौजूद रसायन हार्मोन संतुलन बिगाड़ सकते हैं। हार्मोन असंतुलन ही ब्रेस्ट कैंसर का एक प्रमुख कारण माना जाता है।
रोजमर्रा की आदतें जो खतरा बढ़ा रही हैं
एक्सपर्ट्स के अनुसार हमारी आधुनिक लाइफस्टाइल में महिलाएं अनजाने में इन हानिकारक केमिकल्स के संपर्क में आ जाती हैं। इसका मुख्य स्रोत है प्लास्टिक फूड और वॉटर कंटेनर।
खाना गर्म करना: प्लास्टिक कंटेनर में खाना या पानी गर्म करना, खासकर जब यह धूप या उच्च तापमान में रखा हो, प्लास्टिक से रसायन छोड़ सकता है।
पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स: कई लोशन, क्रीम, स्क्रब और फेस वॉश में माइक्रोबीड्स या प्लास्टिक कण मौजूद होते हैं, जो स्किन के जरिए शरीर में प्रवेश कर हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकते हैं।
फूड पैकेजिंग: टेक-अवे कंटेनर, क्लिंग फिल्म और अन्य पैकेजिंग गर्म या तेलीय खाना पकाने पर प्लास्टिक कण छोड़ सकते हैं।
इस तरह की आदतें शरीर में इस्ट्रोजन हार्मोन को असंतुलित कर सकती हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ा सकती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कैसे कम करें
भले ही माइक्रोप्लास्टिक और ब्रेस्ट कैंसर के बीच सीधे कनेक्शन को लेकर रिसर्च जारी है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि सही लाइफस्टाइल अपनाकर खतरे को कम किया जा सकता है।
प्लास्टिक की जगह ग्लास या स्टील कंटेनर का इस्तेमाल करें।
पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स चुनते समय “माइक्रोप्लास्टिक फ्री” या “फ्थेलेट्स फ्री” लेबल वाले उत्पाद खरीदें।
गर्मी में प्लास्टिक कंटेनर में खाना या पानी न रखें।
सही आदतों को अपनाकर हम माइक्रोप्लास्टिक के असर को कम कर सकते हैं और हार्मोनल असंतुलन को रोक सकते हैं। यही कदम ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को भी घटाने में मददगार साबित हो सकता है।