Bihar Assembly Elections: सीट शेयरिंग से बढ़ा सस्पेंस, नीतीश कुमार की कुर्सी पर सवाल

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए की सीट शेयरिंग ने नया सियासी सस्पेंस खड़ा कर दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर एनडीए दोबारा सत्ता में आती है, तो क्या नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे या बीजेपी नया चेहरा आगे करेगी। सीटों के बंटवारे ने साफ कर दिया है कि इस बार बीजेपी और जेडीयू बराबर-बराबर सीटों (101-101) पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि चिराग पासवान की एलजेपी (आर) को 29 सीटें मिली हैं।

बराबरी का दांव और बदलता समीकरण

बिहार की राजनीति में यह पहली बार है जब बीजेपी और जेडीयू बराबरी के आधार पर चुनाव मैदान में उतर रही हैं। पहले हर चुनाव में जेडीयू का पलड़ा भारी रहा है। सिर्फ 2020 में बीजेपी ने ज्यादा सीटें जीतकर जेडीयू को पीछे छोड़ा था, लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार को दी गई थी। इस बार हालात अलग हैं- प्रचार अभियानों में नीतीश का चेहरा गायब है और बीजेपी नेता अधिक आक्रामक दिख रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा समीकरण बन सकता है, जहां “बड़े भाई” की भूमिका बीजेपी ने अपने हाथ में ले ली थी।

बीजेपी का बढ़ता आत्मविश्वास

बीजेपी में यह आत्मविश्वास यूं ही नहीं आया। पिछले दो दशकों में पार्टी ने बिहार में लगातार अपना जनाधार मजबूत किया है। 2005 में बीजेपी को 55 सीटें मिली थीं, जबकि 2020 में 74 सीटें। वहीं जेडीयू की स्थिति कमजोर होती गई- 88 से घटकर 43 सीटों तक। वोट शेयर भी बीजेपी के पक्ष में झुका है। इसके पीछे लालू प्रसाद यादव और आरजेडी विरोधी मतदाताओं का नीतीश से मोहभंग होना एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

बदलता राजनीतिक माहौल

नीतीश कुमार को कभी “सुशासन बाबू” कहा जाता था, लेकिन अब विपक्ष उन्हें पुराने दौर की छवि से तुलना कर निशाना बना रहा है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव लगातार नीतीश की सेहत और सक्रियता पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं, बीजेपी ने चुनावी नारा दिया है- “अबकी बार फिर एनडीए सरकार”, लेकिन इसमें नीतीश का नाम न होना चर्चा का विषय बन गया है।

क्या नीतीश का दौर खत्म हो रहा है?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीटों की बराबरी और चिराग पासवान के प्रभाव बढ़ने से संकेत मिल रहा है कि बीजेपी अब “छोटे भाई” की भूमिका में नहीं रहना चाहती। आने वाले चुनाव नतीजे तय करेंगे कि बिहार की सियासत में बड़ा भाई कौन होगा- नीतीश कुमार या बीजेपी। फिलहाल, चुनावी दांव बराबरी का है लेकिन सत्ता में कौन भारी पड़ेगा, यह वक्त ही बताएगा।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra