मध्यप्रदेश और राजस्थान से आई एक दर्दनाक खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया है। दोनों राज्यों में अब तक 11 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है, और शुरुआती जांच में शक की सुई दो ब्रांड के खांसी के सिरप की ओर गई है। इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल दोनों सिरप की बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है।
सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे गए
अधिकारियों के अनुसार, जिन सिरप पर संदेह जताया गया है, उनके नाम ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ और ‘नेक्सा डीएस कफ सिरप’ हैं। इन दवाओं के सैंपल जांच के लिए लैब में भेज दिए गए हैं। केंद्र और राज्य स्तर पर मेडिकल टीमें अलर्ट पर हैं। डॉक्टरों और फार्मेसी स्टोर्स को निर्देश जारी किए गए हैं कि किसी भी बच्चे को ये सिरप बिल्कुल न दी जाएं, चाहे खांसी-जुकाम के लक्षण कितने ही मामूली क्यों न हों।
जहरीले रसायन पर शक
प्रारंभिक जांच में स्वास्थ्य विभाग को सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) नामक खतरनाक रसायन की मौजूदगी का शक है। यह वही केमिकल है, जो पहले भी कई देशों में बच्चों की मौत का कारण बन चुका है। माना जा रहा है कि दवा बनाने वाली कंपनी ने सेफ्टी टेस्टिंग के सभी मानकों का पालन नहीं किया और बिना पूरी जांच के इन सिरप्स को बाजार में उतार दिया गया।
सभी बैच वापस मंगाए गए
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (FSSAI) और ड्रग कंट्रोल विभाग ने तुरंत आदेश जारी करते हुए इन सिरप्स के बैच को बाजार से वापस मंगाने (Recall) के निर्देश दिए हैं। फार्मेसी संचालकों को चेतावनी दी गई है कि इन दवाओं की बिक्री किसी भी हालत में न करें।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी त्रासदियां
यह पहली बार नहीं है जब कफ सिरप मौत का कारण बने हैं। साल 2022 में गाम्बिया में जहरीले सिरप से 70 बच्चों की मौत हुई थी। उस घटना में भी भारत में बनी दवा में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल पाए गए थे। उज्बेकिस्तान में भी इसी तरह के एक सिरप से 19 बच्चों की मौत हुई थी। इन घटनाओं के बाद भारतीय फार्मा कंपनियों की दवा निर्माण प्रक्रिया पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल उठे थे। अब मध्यप्रदेश और राजस्थान में ताज़ा घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के ड्रग विभागों को जांच के आदेश दिए हैं, ताकि ऐसी लापरवाही दोबारा न हो। यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि बच्चों की दवाओं के मामले में ज़रा सी लापरवाही कितनी बड़ी त्रासदी बन सकती है।