दुर्गा पूजा हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जो देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का प्रतीक है। यह मुख्य रूप से अश्विन माह में मनाया जाता है और 10 दिनों तक चलता है। इसका समापन विजयादशमी पर होता है।
दुर्गा पूजा का महत्व
इस दौरान देवी दुर्गा की मूर्तियों को पंडालों में स्थापित किया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। यह त्योहार शक्ति, साहस और स्त्री शक्ति का प्रतीक है। भक्त इस पर्व के माध्यम से देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं।
दुर्गा महाअष्टमी 2025
इस साल मंगलवार, 30 सितंबर को दुर्गा अष्टमी है। नवरात्रि की अष्टमी को मां दुर्गा के स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन कई लोग अपना व्रत खोलते हैं, जबकि कुछ लोग हवन और कन्या पूजन करते हैं। इस दौरान नौ कन्याओं को सच्चे मन और संकल्प के साथ भोजन कराया जाता है।
महाअष्टमी पर पूजा की विशेषताएं
इस दिन भक्त मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर का महास्नान कराते हैं, जो मन की शुद्धि का प्रतीक है। पूजा में फूल, चावल, कुमकुम, कपड़े, आभूषण, फल और मिठाई अर्पित की जाती है। भक्त फूल अर्पित करते समय मंत्रों का जाप करके देवी से आशीर्वाद मांगते हैं।
महाअष्टमी पर करें ये काम
इस दिन लोग गरबा नृत्य में भाग लेते हैं और रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं। इसे अस्त्र पूजा के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि देवी दुर्गा के हथियारों की पूजा की जाती है। इसे वीर अष्टमी भी कहा जाता है, और मार्शल आर्ट या हथियारों के सम्मान का दिन माना जाता है।
महाअष्टमी पर इन कामों को करने से बचें
इस दिन दूध का इस्तेमाल न करें या यदि उबाल रहे हैं तो सावधानी से उबालें। काले, सफेद और नीले रंग के कपड़े पहनने से बचें। इसके बजाय चटक और शुभ रंगों के वस्त्र पहनें, जो त्योहार की भव्यता और शुभता को बढ़ाते हैं।
दुर्गा अष्टमी का संदेश
दुर्गा अष्टमी हमें शक्ति, साहस और भक्ति का महत्व याद दिलाती है। इस दिन की पूजा और नियमों का पालन करके व्यक्ति न केवल देवी की कृपा प्राप्त करता है, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली भी ला सकता है।