भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में अब नई रोशनी दिख रही है। लंबे समय से चले आ रहे टैरिफ विवाद के हल होने की उम्मीद बढ़ गई है। अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 50% तक का शुल्क लगा रखा था, लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि यह भारी बोझ जल्द ही हट सकता है।
क्या कहा भारत के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर ने?
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने कोलकाता में आयोजित मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यक्रम में कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ में जल्द ही ढील मिल सकती है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में अमेरिका ने भारत के आयातित उत्पादों पर 25% शुल्क लगाया था और फिर इसके ऊपर अतिरिक्त 25% दंडात्मक शुल्क भी जोड़ दिया गया। इस तरह कुल मिलाकर 50% का टैक्स लग गया। नागेश्वरन के अनुसार, यह दंडात्मक शुल्क भू-राजनीतिक तनाव की वजह से लागू किया गया था लेकिन हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत के संकेत सकारात्मक हैं और संभव है कि 30 नवंबर के बाद यह अतिरिक्त शुल्क हटा दिया जाए।
दोनों देशों के बीच समझौते की संभावना
CEA ने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में भारत और अमेरिका “रेसिप्रोकल टैरिफ” यानी आपसी शुल्क को लेकर कोई ठोस समझौता कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो दोनों देशों के बीच व्यापार और अधिक आसान होगा और आर्थिक रिश्ते भी मजबूत होंगे। भारत पहले से ही अमेरिका का एक अहम व्यापारिक साझेदार है। अमेरिका को निर्यात बढ़ने से भारतीय कंपनियों को बड़ा फायदा मिलेगा और वैश्विक बाजार में भारत की पकड़ और मजबूत हो सकती है।
भारत के निर्यात में बढ़ोतरी का लक्ष्य
नागेश्वरन ने यह भी बताया कि भारत का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। फिलहाल भारत का सालाना निर्यात करीब 850 अरब डॉलर है। आने वाले वर्षों में इसे 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 1000 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य मुश्किल नहीं है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था लचीली और मजबूत है।
क्यों लगाए गए थे टैरिफ?
अमेरिका ने यह टैरिफ पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लगाए थे। ट्रंप ने 1977 के एक कानून इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर एक्ट (IEEPA) के तहत यह कदम उठाया था। इस कानून के जरिए अमेरिका अपनी सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा के नाम पर किसी भी देश पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा सकता है। भारत पर लगाए गए इन टैरिफ का सीधा असर वहां बिकने वाले भारतीय उत्पादों पर पड़ा। इससे न केवल भारतीय कंपनियों को नुकसान हुआ, बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी महंगे दाम चुकाने पड़े।
दोनों देशों के लिए होगी बड़ी राहत
भारत और अमेरिका के बीच अगर यह टैरिफ विवाद सुलझता है तो यह दोनों देशों के लिए बड़ी राहत होगी। जहां एक ओर भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में कारोबार आसान होगा, वहीं अमेरिका को भी सस्ते और गुणवत्ता वाले उत्पाद मिल सकेंगे। आर्थिक जानकारों का मानना है कि आने वाले महीनों में इस दिशा में बड़ा ऐलान हो सकता है, जो भारत के निर्यात को नई उड़ान देगा।