देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विशाखापत्तनम में आयोजित ‘नेक्स्ट जेन जीएसटी रिफॉर्म्स’ कार्यक्रम में बताया कि हाल ही में किए गए जीएसटी सुधारों से करीब 2 लाख करोड़ रुपये का सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा। यह सुधार खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आए हैं।
रोजमर्रा की चीजों पर कम टैक्स
वित्त मंत्री ने कहा कि अब तक ऐसे सामान, जिनसे कुल जीएसटी राजस्व का 12% आता था, वे 5% टैक्स स्लैब में आ जाएंगे। इसका मतलब है कि रोजमर्रा की जरूरत की चीजें जैसे खाने-पीने का सामान अब पहले से सस्ता होगा। ब्रेड, दूध और पनीर जैसे जरूरी खाद्य पदार्थों पर तो अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह कदम सीधे आम लोगों की जेब पर बोझ कम करेगा और उनकी खरीदारी की क्षमता बढ़ाएगा।
कारोबार और उद्योगों को नई ताकत
निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी सुधार सिर्फ उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं हैं। इसका बड़ा फायदा उद्योग और कारोबार करने वालों को भी होगा। टैक्स के नियम आसान होने से व्यवसाय करना आसान होगा और उद्योग तेजी से बढ़ेंगे। इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
टैक्स कलेक्शन और दायरा बढ़ा
वित्त मंत्री ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स चुकाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2018 में जहां टैक्स कलेक्शन 7.19 लाख करोड़ रुपये था, वहीं 2025 तक यह बढ़कर 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। टैक्स देने वालों की संख्या भी 65 लाख से बढ़कर 1.51 करोड़ हो गई है। यह दिखाता है कि अधिक लोग टैक्स व्यवस्था से जुड़ रहे हैं और सरकार की आमदनी बढ़ रही है।
22 सितंबर से लागू होंगी नई दरें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से जीएसटी सुधारों की घोषणा की थी। इसके बाद जीएसटी काउंसिल ने इसे मंजूरी दी। अब 12% और 28% वाले स्लैब खत्म कर दिए गए हैं। नई व्यवस्था में ज्यादातर जरूरी चीजें 5% स्लैब में होंगी, जबकि बाकी सामानों पर 18% टैक्स लगेगा। ये बदलाव 22 सितंबर से पूरे देश में लागू हो जाएंगे।
अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार
ब्रेड और दूध जैसी जरूरी चीजें टैक्स फ्री होने से आम आदमी को सीधी राहत मिलेगी, जबकि कारोबारियों को आसान टैक्स व्यवस्था का लाभ मिलेगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह बढ़ेगा और देश की ग्रोथ को नई रफ्तार मिलेगी। इन सुधारों से साफ है कि सरकार का मकसद जनता की जेब में बचत करवाना और उद्योगों को मजबूत बनाना है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले महीनों में इसका असर रोजमर्रा की जिंदगी और बाजार पर कितना दिखाई देता है।
