हाल ही में हुई एक स्टडी ने इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है। रिसर्च के मुताबिक, इस तरीके से वजन कम करने पर हार्ट हेल्थ पर गंभीर असर पड़ सकता है और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से मौत का खतरा 135 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
फेमस डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. अनुप मिश्रा कहते हैं कि कई लोग सोचते हैं कि फास्टिंग से वजन तेजी से घटता है, लेकिन यह शरीर को जरूरी पोषण नहीं देता। लंबे समय तक खाना न खाने से शरीर के लिए आवश्यक न्यूट्रिशन की कमी हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन घटाने का तरीका है जिसमें लोग कुछ घंटों तक खाना नहीं खाते और केवल निर्धारित समय में भोजन करते हैं। उदाहरण के लिए, 16 घंटे का फास्ट और 8 घंटे का ईटिंग पीरियड। इसमें कैलोरी की संख्या पर ध्यान नहीं दिया जाता, बल्कि खाने के समय पर फोकस किया जाता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़े खतरे
डॉ. मिश्रा के अनुसार, यह तरीका बिना डॉक्टर की सलाह लिए अपनाना खतरनाक हो सकता है।
हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर और डायबिटीज वाले मरीजों के लिए यह जोखिम बढ़ा सकता है।
जो लोग दवाइयां ले रहे हैं, उनके लिए फास्टिंग के दौरान लो शुगर की समस्या हो सकती है।
एक केस में 58 साल की महिला, जिनका वजन 98 किलो था और 15 साल से टाइप-2 डायबिटीज़ थी, ने फास्टिंग शुरू की। उनके ब्लड शुगर लेवल में अत्यधिक उतार-चढ़ाव हुआ, जिससे स्वास्थ्य और खराब हुआ।
सुरक्षित वजन घटाने के तरीके
डॉ. मिश्रा के अनुसार, वजन घटाने के लिए सबसे सुरक्षित तरीका है:
कम तेल-मसाले वाला संतुलित भोजन।
नियमित समय पर नाश्ता, दोपहर और रात का खाना।
जंक फूड और मीठे पेय से दूरी।
व्यायाम और शारीरिक गतिविधि पर ध्यान।
डॉ. मिश्रा का कहना है कि लो-कैलोरी डाइट और समय पर भोजन करना इंटरमिटेंट फास्टिंग से ज्यादा फायदेमंद और सुरक्षित है। यह शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व देता है और हार्ट हेल्थ पर भी कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता।
इंटरमिटेंट फास्टिंग हर किसी के लिए सही नहीं है। खासकर हार्ट, डायबिटीज़ और किडनी से जुड़े मरीजों को इससे बचना चाहिए। वजन घटाने के लिए डॉक्टर की सलाह लेकर संतुलित और लो-कैलोरी डाइट अपनाना, नियमित समय पर भोजन करना और व्यायाम करना ही सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है।
