Kanpur में खुला टाइम बैंक, सेवा के घंटे जमा करें, जरूरत पर निकालें

कानपुर में अब बैंक का मतलब केवल रुपये-पैसे से नहीं, बल्कि समय और सेवा से भी जुड़ गया है। शहर में पहली बार टाइम बैंक की शुरुआत हुई है, जो बिल्कुल पारंपरिक बैंक की तरह काम करता है, लेकिन इसमें पैसे की बजाय सदस्य अपने समय के घंटे जमा करते हैं। जरूरत पड़ने पर ये घंटे वे किसी सेवा के रूप में निकाल सकते हैं।

जापान से आया टाइम बैंक का मूल विचार

टाइम बैंक का मूल विचार जापान से आया था। वहां बुजुर्गों की देखभाल के लिए परिवार के लोग समय नहीं निकाल पाते थे, इसलिए समाज के लोगों ने मिलकर यह व्यवस्था बनाई। धीरे-धीरे यह मॉडल कई देशों में फैल गया। भारत में भी अब तक सात हजार से अधिक लोग टाइम बैंक से जुड़े हुए हैं। कानपुर इस पहल में हाल ही शामिल हुआ है।

टाइम बैंक बिल्कुल सेविंग अकाउंट की तरह- महेश कुमार

महेश कुमार, जो इस पहल के सक्रिय सदस्य हैं, बताते हैं कि टाइम बैंक बिल्कुल सेविंग अकाउंट की तरह है। फर्क केवल इतना है कि इसमें रुपये नहीं, बल्कि घंटे जमा होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई सदस्य किसी बुजुर्ग की सेवा में दो घंटे देता है, तो उसके खाते में दो घंटे दर्ज हो जाते हैं। बाद में जब उसे खुद किसी मदद की जरूरत होती है, तो वह उतने ही घंटे निकाल सकता है।

टाइम बैंक में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन आवश्यक

टाइम बैंक में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन आवश्यक है। प्रक्रिया वेबसाइट और ऐप के माध्यम से होती है। सदस्य को ई-केवाईसी पूरी करनी होती है और उसके बाद वह सेवा मांग या सेवा देने में शामिल हो सकता है। सेवा पूरी होने के बाद जितने घंटे काम किए गए, उतने उसके खाते में जमा हो जाते हैं। कानपुर में फिलहाल करीब 25 लोग रजिस्टर हो चुके हैं और जैसे ही एडमिन की नियुक्ति होगी, बैंक पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा।

इस पहल में रिटायर्ड बैंककर्मी और डॉक्टर भी जुड़ चुके हैं। उनका कहना है कि यह समय बुजुर्गों और अकेलेपन से जूझ रहे लोगों के लिए मददगार साबित होगा। इससे समाज में आपसी जुड़ाव और सेवा की भावना भी मजबूत होती है।

टाइम बैंक का उद्देश्य

टाइम बैंक का उद्देश्य सिर्फ सेवा देना नहीं है, बल्कि यह संदेश फैलाना भी है कि असली दौलत पैसा नहीं, समय है। और हर व्यक्ति का समय समान रूप से मूल्यवान है। कानपुर का यह अनोखा मॉडल धीरे-धीरे और लोगों को जोड़ते हुए समाज में सेवा और सहयोग की भावना को बढ़ावा देगा।

इस पहल से यह भी स्पष्ट होता है कि भविष्य में समय का मूल्य समझना और साझा करना समाज की नई दिशा हो सकती है।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra