Health Care: छोटे बच्चों पर वायरस का वार, तेजी से फैल रही हैंड-फुट-माउथ डिजीज, जानें क्यों है खतरनाक?

छोटे बच्चों में तेजी से फैलने वाला एक संक्रमण इन दिनों चर्चा में है- हैंड-फुट-माउथ डिजीज (HFMD)। यह एक वायरल इंफेक्शन है, जो ज्यादातर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। हालांकि, बड़े बच्चे और कभी-कभी वयस्क भी इससे संक्रमित हो सकते हैं। यह बीमारी संक्रामक है और आसानी से एक बच्चे से दूसरे बच्चे में फैल सकती है। अच्छी बात यह है कि आमतौर पर यह हल्की बीमारी होती है और 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर रूप ले सकती है।

कैसे फैलता है HFMD?

HFMD का कारण कॉक्ससकी वायरस नामक एंटरोवायरस है। यह वायरस तब फैलता है जब कोई बच्चा खांसता या छींकता है, और उसके थूक या नाक के म्यूकस से दूसरा बच्चा संपर्क में आता है। इसके अलावा संक्रमित खिलौने, बर्तन या सतह को छूने से भी यह संक्रमण फैल सकता है। यही वजह है कि स्कूल और डे-केयर जैसे स्थानों पर यह बीमारी जल्दी फैल जाती है।

बीमारी के लक्षण

एम्स दिल्ली के पीडियाट्रिक विभाग के पूर्व डॉक्टर राकेश कुमार बागड़ी बताते हैं कि HFMD के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 3-6 दिन बाद नजर आते हैं। शुरुआत में बच्चों को हल्का बुखार, गले में खराश, सिरदर्द और भूख कम लगने जैसी समस्याएं होती हैं। बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है और बार-बार रोने लगता है। आगे चलकर, मुंह के अंदर छोटे दर्दभरे छाले बन जाते हैं, जिससे बच्चों को खाना खाने और बोलने में दिक्कत होती है। कुछ दिनों बाद हथेलियों, तलवों, घुटनों या कोहनियों पर लाल चकत्ते और दाने निकल आते हैं। ये दाने कभी-कभी फफोले का रूप भी ले लेते हैं। बच्चे को खुजली, जलन, थकान और शरीर दर्द की भी शिकायत होती है।

वहीं गंभीर मामलों में तेज बुखार, लगातार उल्टी, शरीर में पानी की कमी या बार-बार पेशाब न आना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी है।

कैसे करें बचाव?

बच्चों को बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।

संक्रमित बच्चों को स्कूल या डे-केयर न भेजें।

बच्चों के खिलौनों और बर्तनों को अच्छी तरह साफ करें।

उन्हें पर्याप्त पानी और तरल पदार्थ दें।

किसी भी लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

HFMD आमतौर पर गंभीर नहीं होती, लेकिन समय पर सावधानी और देखभाल ही बच्चे को परेशानी से बचा सकती है। माता-पिता के लिए सबसे जरूरी है कि वे बच्चों के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और जरूरत पड़ते ही चिकित्सकीय मदद लें।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra