September 2025: 30 दिनों में व्रत-त्योहारों की झड़ी,हर दिन होगा पूजा-पर्व का महत्व, भक्तों में उमंग

सितंबर का महीना जैसे-जैसे करीब आता है, वैसे-वैसे भक्तों और धार्मिक आस्था से जुड़े लोगों के बीच उत्साह बढ़ने लगता है। साल 2025 का सितंबर विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस बार यह महीना व्रत, त्योहार, पर्व और ग्रहण जैसे कई बड़े अवसरों से भरा रहने वाला है। पूरे महीने धार्मिक गतिविधियां होंगी और भक्ति का वातावरण बना रहेगा।

इस बार सितंबर की शुरुआत ही शुभ कार्यों और त्योहारों के साथ होगी। गणेशोत्सव के बीच व्रत और अनुष्ठानों की लंबी श्रृंखला भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देगी। इस महीने कई प्रमुख पर्व जैसे गणेश विसर्जन, अनंत चतुर्दशी, पितृपक्ष, नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी के अलावा दो महत्वपूर्ण ग्रहण भी लगने जा रहे हैं। आइए जानते हैं इस महीने के खास पर्व और तिथियां-

सितंबर 2025 के प्रमुख व्रत और त्योहार

3 सितंबर (बुधवार): परिवर्तिनी एकादशी – भगवान विष्णु की उपासना का यह विशेष दिन माना जाता है।

4 सितंबर (गुरुवार): वामन जयंती – विष्णु भगवान के वामन अवतार की जयंती।

5 सितंबर (शुक्रवार): ओणम और शुक्र प्रदोष व्रत। ओणम खासकर केरल और दक्षिण भारत में भव्य रूप से मनाया जाता है।

6 सितंबर (शनिवार): गणेश विसर्जन और अनंत चतुर्दशी। इस दिन बप्पा को भावभीनी विदाई दी जाएगी।

7 सितंबर (रविवार): पूर्णिमा व्रत और साल का दूसरा चंद्र ग्रहण।

8 सितंबर (सोमवार): पितृपक्ष की शुरुआत। यह 15 दिनों तक चलने वाला पर्व है जिसमें लोग अपने पितरों को तर्पण और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

14 सितंबर (रविवार): महालक्ष्मी व्रत, जीवित्पुत्रिका व्रत और कालाष्टमी।

17 सितंबर (बुधवार): विश्वकर्मा पूजा और इंदिरा एकादशी।

19 सितंबर (शुक्रवार): शुक्र प्रदोष व्रत।

21 सितंबर (रविवार): सर्वपितृ अमावस्या और साल का दूसरा सूर्य ग्रहण।

22 सितंबर (सोमवार): महाराजा अग्रसेन जयंती और शारदीय नवरात्रि की शुरुआत।

27 सितंबर (शनिवार): स्कंद षष्ठी।

30 सितंबर (मंगलवार): दुर्गा अष्टमी।

ग्रहणों का विशेष महत्व

सितंबर 2025 में दो बड़े ग्रहण भी लगेंगे। 7 सितंबर को पूर्णिमा के दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। वहीं, 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल में विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए और भगवान का ध्यान करना शुभ माना जाता है।

पितृपक्ष और नवरात्रि का संगम

इस बार सितंबर का महीना इसलिए भी खास है क्योंकि पितृपक्ष की समाप्ति के तुरंत बाद शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होगी। पितृपक्ष के 15 दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित रहते हैं। इसके बाद भक्त पूरी श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की आराधना करेंगे। नवरात्रि में घटस्थापना, उपवास और दुर्गा सप्तशती का पाठ पूरे भारत में बड़े धूमधाम से किया जाएगा।

देखा जाए तो सितंबर 2025 धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण महीना है। इस पूरे महीने भक्तगण भगवान गणेश से लेकर मां दुर्गा तक, पितरों से लेकर भगवान विष्णु तक की पूजा-अर्चना करेंगे। ग्रहण, पितृपक्ष और नवरात्रि जैसे विशेष पर्व इसे और भी खास बना रहे हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि सितंबर 2025 भक्ति, श्रद्धा और अध्यात्म का महीना साबित होगा।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra