उत्तर प्रदेश के आगरा से एक बड़ा और खतरनाक खेल उजागर हुआ है। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और औषधि विभाग की टीम ने मिलकर नकली दवाओं के धंधे का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह न केवल लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा था बल्कि इसकी जड़ें देश की सीमाओं से बाहर तक फैली हुई थीं।
करोड़ों की नकली दवाएं जब्त
छापेमारी फव्वारा क्षेत्र के बंसल मेडिकल एजेंसी, हेमा मेडिकल स्टोर और चार अलग-अलग गोदामों पर की गई। यहां से लगभग 2.43 करोड़ रुपये की नकली दवाएं बरामद की गईं। जांच के दौरान सामने आया कि हेमा मेडिको और उसके गोदाम इस गोरखधंधे का बड़ा अड्डा बने हुए थे।
सरगना हिमांशु अग्रवाल गिरफ्तार
कार्रवाई के दौरान दवा व्यापारी और इस रैकेट के सरगना हिमांशु अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि उसने अधिकारियों को बचने के लिए एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने की कोशिश की, लेकिन टीम ने सख्ती दिखाते हुए उसे तुरंत हिरासत में ले लिया। पूछताछ में हिमांशु ने कई राज खोले और बताया कि यह धंधा सिर्फ आगरा तक सीमित नहीं था, बल्कि नेपाल और बांग्लादेश तक नकली दवाओं की सप्लाई होती थी। इन अवैध सौदों के लिए हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता था।
नकली क्यूआर कोड और फर्जी फर्मों का जाल
इस गिरोह ने असली और नकली दवाओं का फर्क मिटाने के लिए नकली क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया। ग्राहकों को धोखा देने के लिए इन दवाओं पर ऐसी पैकिंग और लेबलिंग होती थी जो एकदम असली जैसी दिखती थी। इसके अलावा बिक्री के लिए फर्जी फर्मों का सहारा लिया जाता था। एक टेंपो से जब्त माल की कीमत 87 लाख रुपये निकली, जबकि उसका बिल केवल 10 लाख का था। जांच में पता चला कि यह बिल लखनऊ की एक फर्जी फर्म के नाम पर बना था।
तमिलनाडु से आती थीं नकली दवाएं
पूछताछ और दस्तावेजों की जांच से खुलासा हुआ कि हिमांशु अग्रवाल नकली दवाएं तमिलनाडु के चेन्नई से मंगवाता था। वह लगभग 10 नामी कंपनियों के नाम पर 14 तरह की दवाएं मंगाकर सिर्फ 10% बिलिंग करता था और फिर इन्हें ग्रे मार्केट में बेचकर मोटा मुनाफा कमाता था। इस मामले में एसटीएफ ने तमिलनाडु सरकार को भी रिपोर्ट भेजी है।
अधिकारियों का बयान और आगे की कार्रवाई
ड्रग कमिश्नर नरेश मोहन दीपक और असिस्टेंट ड्रग कमिश्नर अतुल उपाध्याय ने बताया कि उन्हें कई दिनों से आगरा में नकली दवाओं के कारोबार की सूचना मिल रही थी। करीब 15–20 दिनों की गहन जांच के बाद बंसल फार्मास्युटिकल्स और हेमा मेडिकल के व्यापारियों पर कार्रवाई की गई।
सन फार्मा, सनोफी और ग्लेनमार्क जैसी बड़ी दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों ने मौके पर मौजूद रहकर दवाओं को स्कैन किया और उन्हें नकली होने की पुष्टि की। अभी कई गोदाम और स्टोर सील कर दिए गए हैं। अधिकारियों का मानना है कि इस जांच में आगे और भी नाम सामने आ सकते हैं और गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है।
जान से खेलता गोरखधंधा
यह मामला सिर्फ नकली दवाओं की तस्करी भर नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ का बड़ा उदाहरण है। लाखों मरीज ऐसी नकली दवाओं के जाल में फंस सकते थे। फिलहाल, एसटीएफ की इस कार्रवाई से प्रदेश में दवा माफिया के खिलाफ बड़ा संदेश गया है।
