उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सील किए गए मदरसों के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 30 मदरसों को तुरंत खोलने का आदेश दिया और सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि बिना सुनवाई का मौका दिए की गई कार्रवाई उचित नहीं है।
कोर्ट का सख्त रुख
गुरुवार को हुई सुनवाई में अदालत ने साफ कहा कि बिना सुनवाई के अब किसी भी मदरसे को बंद नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार चाहें तो कानून के अनुसार सुनवाई कर नए आदेश जारी कर सकती है, लेकिन मनमाने ढंग से कार्रवाई स्वीकार नहीं की जाएगी।
इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत चंद्र ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि मदरसों को न तो सही ढंग से नोटिस दिया गया और न ही उन्हें अपनी बात रखने का अवसर दिया गया। कोर्ट ने उनकी दलीलें मान लीं और सरकार की कार्रवाई को खारिज कर दिया।
सरकार का पक्ष और कोर्ट की प्रतिक्रिया
सरकार के वकील ने इस पर विरोध जताते हुए कहा कि कार्रवाई उत्तर प्रदेश गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा नियमावली-2016 के तहत की गई थी और इसमें कोई अवैधता नहीं थी। लेकिन कोर्ट ने सरकार की दलील को नहीं माना और मदरसों को खोलने का आदेश जारी किया।
श्रावस्ती जिले का मामला
इससे पहले भी हाई कोर्ट ने श्रावस्ती जिले के ढाई दर्जन से अधिक मदरसों को बंद करने के नोटिस को रद्द कर दिया था। उस मामले में भी अदालत ने कहा था कि सरकार चाहे तो नियमों के अनुसार नए नोटिस जारी कर सकती है, लेकिन बिना प्रक्रिया अपनाए किसी भी संस्था को बंद नहीं किया जा सकता।
उस फैसले में जस्टिस पंकज भाटिया की पीठ ने मदरसा मोइनुल इस्लाम क़समिया समिति और अन्य मदरसों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार की कार्रवाई को गलत ठहराया था।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि मदरसों को बंद करने के निर्देश देने से पहले उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला। यहां तक कि कई नोटिस एक जैसे और बिना सोच-विचार के जारी किए गए थे। कुछ नोटिसों में तो एक ही नंबर तक था। कोर्ट ने माना कि यह प्रक्रिया न्यायसंगत नहीं थी और ऐसे आदेश टिक नहीं सकते।
क्या कहा कोर्ट ने?
हाई कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार अगर चाहे तो नियमों के तहत सुनवाई कर नए आदेश जारी कर सकती है। इसके लिए अधिकारियों को विधि सम्मत प्रक्रिया का पालन करना होगा।बिना सुनवाई और बिना उचित कारण बताए किसी भी मदरसे को सील करना या बंद करना अवैध है।
अब यूपी सरकार की कार्रवाई पर उठे सवाल
इस फैसले के बाद यूपी सरकार की कार्रवाई पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। कोर्ट ने साफ संदेश दिया है कि किसी भी संस्था या व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उसे सुनवाई का पूरा मौका मिलना चाहिए। अब सरकार चाहे तो नए आदेश जारी कर सकती है, लेकिन उसे कानून की प्रक्रिया का पालन करना होगा।
