Bengal के स्कूलों में नई पहल, मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए शतरंज का दांव, बढ़ेगी सोचने की ताकत

आजकल ज्यादातर बच्चे मोबाइल में घंटों वक्त बिताते हैं। खाना खाते समय फोन चाहिए, खेलना छोड़कर स्क्रीन पर लगे रहना और मोबाइल न मिले तो रोना या सामान पटकना, यह समस्या लगभग हर घर में दिखने लगी है। बच्चों की इस लत को छुड़ाने और उन्हें दूसरी गतिविधियों में व्यस्त करने के लिए पश्चिम बंगाल के स्कूलों ने एक नई पहल शुरू की है।

स्कूलों में शतरंज की शुरुआत

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के 50 स्कूलों के 55 शिक्षकों को शतरंज की ट्रेनिंग दी गई है। अब ये शिक्षक बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के लिए स्कूल में शतरंज सिखा रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि शतरंज जैसे मानसिक खेल बच्चों को न सिर्फ मोबाइल से दूर रखेंगे बल्कि उनकी सोचने की क्षमता और एकाग्रता भी बढ़ाएंगे।

दूसरे फेज में जिले के सभी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इसका फायदा मिल सके।

पहली बार टीचर्स को दी गई ट्रेनिंग

साउथ 24 परगना चेस एसोसिएशन के सेक्रेटरी तापस सरकार के मुताबिक, पहली बार शिक्षकों को शतरंज की ट्रेनिंग दी गई है। इसका मकसद है- बच्चों को मोबाइल एडिक्शन से बचाना और उनका मानसिक विकास करना।

जयनगर सर्कल के स्कूल इंस्पेक्टर कृष्णेंदु घोष ने कहा कि शतरंज बच्चों में कैलकुलेशन पावर, टीम वर्क और मानसिक मजबूती बढ़ाता है।

शतरंज से बच्चों में होने वाले फायदे

सोचने की क्षमता बढ़ती है- हर चाल नई रणनीति मांगती है।

धैर्य और एकाग्रता आती है- बिना फोकस के जीतना मुश्किल है।

कैलकुलेशन और लॉजिक पावर मजबूत होता है।

आत्मविश्वास बढ़ता है- सही चाल चलने का भरोसा आता है।

गलतियों से सीखना- खेल हर दिन नया अनुभव देता है।

मोबाइल की लत के नुकसान

एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक, बच्चों में ज्यादा स्क्रीन टाइम उनकी मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है।

याद्दाश्त कमजोर हो सकती है।

नींद न आना, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

मोटापा और शारीरिक कमजोरी बढ़ सकती है।

डोपामाइन लेवल ज्यादा होने से बच्चा चिड़चिड़ा और अस्थिर हो सकता है।

पैरेंट्स को भी करनी होगी पहल

सिर्फ स्कूल ही नहीं, बल्कि घर पर भी माता-पिता को बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के लिए कदम उठाने होंगे।

सबसे पहले खुद का स्क्रीन टाइम कम करें।

खाना खाते या सोते वक्त मोबाइल न देखें।

बच्चे के लिए फिक्स्ड स्क्रीन टाइम तय करें।

उन्हें पेंटिंग, म्यूजिक, डांस या आउटडोर गेम जैसी क्रिएटिव एक्टिविटीज में लगाएं।

कम उम्र में बच्चे को फोन खरीदकर देने की गलती न करें।

मोबाइल की लत बच्चों के दिमाग और शरीर दोनों को नुकसान पहुंचा सकती है। पश्चिम बंगाल की इस पहल ने दिखा दिया है कि अगर बच्चों को सही दिशा दी जाए तो वे मोबाइल से दूर रहकर भी अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं। शतरंज जैसे खेल न सिर्फ उन्हें व्यस्त रखते हैं बल्कि जीवन के लिए जरूरी धैर्य, अनुशासन और सोचने की शक्ति भी सिखाते हैं।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra