BSP में रक्षाबंधन की राजनीति, सालों बाद मायावती ने उमाशंकर सिंह को बांधी राखी, राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज

बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को राजनीति में आमतौर पर ‘बहन जी’ के नाम से जाना जाता है. ठीक वैसे ही जैसे समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव को ‘नेताजी’ कहते थे या यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके समर्थक ‘महाराज जी’ कहते हैं. ऐसे में ‘बहन जी’ कहलाने वाली मायावती के लिए रक्षाबंधन का त्योहार हमेशा ही खास महत्व रखता है.

उमाशंकर सिंह ने मायावती से बंधवाई राखी

इस साल बीएसपी के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह ने मायावती से राखी बंधवाकर इस परंपरा को फिर सुर्खियों में ला दिया है. बलिया के रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक उमाशंकर सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मायावती के साथ राखी की तस्वीर साझा करते हुए लिखा- “रक्षाबंधन के पावन अवसर पर परम आदरणीय बहन कुमारी मायावती जी ने राखी बांधकर अपना आशीर्वाद दिया. यह मेरे लिए ईश्वरीय कृपा और परम सौभाग्य का विषय है.”

दरअसल बीमार होने के कारण उमाशंकर सिंह मास्क पहनकर मायावती से मिलने पहुंचे थे. मायावती पहले भी उनके घर जाकर हालचाल ले चुकी हैं, जो उनके करीबी संबंधों को दर्शाता है.

मायावती और राखी का पुराना रिश्ता

मायावती की राजनीति में रक्षाबंधन से जुड़े कई किस्से रहे हैं. परिवार के बाहर उन्होंने जिन लोगों को राखी बांधी, उनमें तीन नाम चर्चित हैं- बीएसपी सरकार में मंत्री रहे करतार सिंह नागर, हरियाणा के INLD नेता अभय चौटाला और सबसे चर्चित, बीजेपी नेता लालजी टंडन.

लालजी टंडन और मायावती का भाई-बहन का रिश्ता 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद शुरू हुआ था, जब टंडन ने उनकी जान बचाने में अहम भूमिका निभाई थी. कई साल तक मायावती हर रक्षाबंधन पर उन्हें राखी बांधती रहीं, लेकिन 2003 में बीजेपी-बीएसपी गठबंधन टूटने के बाद यह परंपरा खत्म हो गई.

राजनीति में रक्षाबंधन पर राखी बंधवाने का मतलब

मायावती का कहना है कि वह खुद कभी किसी के घर राखी बांधने नहीं जातीं, लेकिन अगर कोई राखी लेकर आता है, तो मना भी नहीं करतीं. इस बार उमाशंकर सिंह ने लंबे समय बाद बीएसपी में यह परंपरा फिर शुरू की है. सवाल यह है कि क्या यह सिलसिला आगे भी चलेगा और क्या संगठन के भीतर इसे मजबूती के लिए अपनाया जाएगा?

बीजेपी से ‘रिश्ते’ को लेकर चर्चा तेज

लालजी टंडन अब नहीं रहे लेकिन राजनीतिक हलकों में अक्सर यह कहा जाता है कि मायावती और बीजेपी के बीच ‘रिश्ता’ अब भी किसी न किसी रूप में बना रहता है. चुनावों के दौरान उनकी रणनीतियों पर विपक्ष आरोप लगाता है कि वह ऐसे कदम उठाती हैं, जिनसे बीजेपी को फायदा होता है. रक्षाबंधन के मौके पर उमाशंकर सिंह से राखी बंधवाने के बाद मायावती और बीएसपी में इस परंपरा के लौटने की चर्चा तेज है.

फिलहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह सिर्फ एक भावनात्मक पल था या आने वाले समय में बीएसपी के भीतर ‘रक्षाबंधन’ का यह रिश्ता राजनीति में कोई नया संकेत देगा.

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra