Omar Ansari गिरफ्तार: मऊ की सियासत में भूचाल, अंसारी परिवार पर टूटा संकट

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी के परिवार की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। अब मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी को लखनऊ के विधायक निवास से रविवार देर रात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी मां अफसा अंसारी के फर्जी हस्ताक्षर करके अदालत में जाली दस्तावेज पेश किए थे। यह मामला मुख्तार अंसारी की जब्त संपत्ति को अदालत से छुड़ाने से जुड़ा है।

गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज, जमानत मिलना मुश्किल

उमर अंसारी के खिलाफ गाजीपुर में केस दर्ज है। पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 319(2), 318(4), 338, 336(3), 340(2) के तहत मामला दर्ज किया है। इनमें से कुछ धाराएं गंभीर हैं और दोषी पाए जाने पर उन्हें 5 साल तक की सजा हो सकती है।

मुख्तार की राजनीतिक विरासत पर संकट

मुख्तार अंसारी का परिवार लंबे समय से मऊ विधानसभा सीट पर कब्जा बनाए हुए है। खुद मुख्तार 1996 से 2017 तक पांच बार मऊ से विधायक रहे। 2022 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और उनके बेटे अब्बास अंसारी ने सुभासपा से जीत दर्ज की। लेकिन अब्बास को भड़काऊ भाषण मामले में दो साल की सजा हो चुकी है और उनकी सदस्यता खत्म हो चुकी है। ऐसे में परिवार की उम्मीदें उमर अंसारी पर थीं, जिन्हें सपा से टिकट मिल चुका था। लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी के बाद अंसारी परिवार की राजनीति खतरे में पड़ गई है।

अब मऊ से कौन लड़ेगा चुनाव?

अब बड़ा सवाल है कि मऊ सीट पर अंसारी परिवार से कौन चुनाव लड़ेगा? अब्बास चुनाव नहीं लड़ सकते, उमर जेल में हैं, और मुख्तार की पत्नी अफसा फरार हैं जिन पर इनाम भी घोषित है। ऐसे में अंसारी परिवार की पकड़ मऊ पर ढीली पड़ सकती है।

बृजेश सिंह की एंट्री की चर्चा तेज

मऊ सीट पर बीजेपी अब जीत की कोशिश कर रही है। सुभासपा प्रमुख और मंत्री ओम प्रकाश राजभर इस सीट पर बृजेश सिंह को मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी जगजाहिर है और अब जब मुख्तार परिवार मुश्किलों में है, तो बृजेश सिंह के लिए रास्ता आसान माना जा रहा है।

क्या बीजेपी तोड़ पाएगी मऊ का गणित?

मऊ विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल है और अब तक बीजेपी यहां जीत दर्ज नहीं कर सकी है। लेकिन हाल ही में बीजेपी ने कुछ मुस्लिम बहुल सीटों जैसे कुंदरकी और मझवां पर उपचुनाव जीतकर नया इतिहास रचा है। इसी आत्मविश्वास के साथ पार्टी मऊ सीट पर भी सियासी बाजी मारने का सपना देख रही है।

मुख्तार अंसारी के निधन और उनके बेटों की कानूनी परेशानियों के चलते मऊ सीट पर अंसारी परिवार का दबदबा कमजोर होता दिख रहा है। सपा, सुभासपा और बीजेपी के बीच मुकाबला दिलचस्प होगा। यह देखना अहम होगा कि मऊ की जनता क्या फैसला लेती है- अंसारी परिवार का साथ देती है या बदलाव की ओर कदम बढ़ाती है।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra