शिव मंदिर में प्रवेश करते समय आपने कई बार भक्तों को तीन बार ताली बजाते देखा होगा। यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक गहरी धार्मिक परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि ताली बजाने से भगवान शिव को भक्त की उपस्थिति का अहसास होता है और वह उसकी श्रद्धा को स्वीकार करते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शिव मंदिर में बार ताली बजाने की परंपरा ब्रह्मा, विष्णु और महेश के आह्वान से जुड़ी है। जब भक्त शिव मंदिर में तीन बार ताली बजाते हैं, तो यह तीनों लोकों और तीनों प्रमुख देवताओं को नमन करने का प्रतीक माना जाता है।
आसान शब्दों में कहें तो शिव मंदिर में तीन बार ताली बजाना तीनों लोक (भूलोक, पाताल और स्वर्गलोक) और तीन प्रमुख देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) को नमन करने का प्रतीक होता है।
हर ताली का है खास अर्थ
शिव मंदिर में बजाई जाने वाली हर एक ताली का अपना अलग महत्व होता है।
पहली ताली का अर्थ भगवान शिव को यह बताने के लिए कि भक्त मंदिर में उपस्थित है। दूसरी ताली अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करने और दुखों से मुक्ति की प्रार्थना के लिए। तीसरी ताली भगवान की शरण में जाने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का संकेत।
मान्यता यह भी है कि जब ताली बजती है, तो उससे उत्पन्न कंपन और ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाती है और वातावरण को शुद्ध करती है। यही कारण है कि मंदिर में घंटी, शंख और ताली जैसे ध्वनि उत्पादक साधनों का प्रयोग किया जाता है।
ऐसा कहते हैं कि जब भक्त शिव मंदिर में प्रवेश करने से पहले तीन बार ताली बजाते हैं, तो इसे भगवान शिव को जगाने और उनकी कृपा प्राप्त करने का संकेत माना जाता है।
