योगी के नेमप्लेट वाले आदेश पर सियासी घमासान छिड़ गया है, इस मामले पर ओवैसी और एसटी हसन ने सरकार पर सवाल उठाए हैं.
10 जुलाई से उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा शुरू होने जा रही है. लाखों शिवभक्त सड़कों पर उतरेंगे, इसकी तैयारी जोरों पर है। योगी सरकार भी यात्रा को सफल बनाने के लिए पूरी तरह अलर्ट मोड में है लेकिन इस बार यात्रा शुरू होने से पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है जो कि है पहचान को लेकर!
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ मार्ग पर मौजूद ढाबों और दुकानों को आदेश दिया है कि वहां मालिक और मैनेजर की नेमप्लेट लगाना अनिवार्य होगा। साथ ही, खुले में मांस की बिक्री और ओवररेटिंग पर सख्ती बरतने को भी कहा गया है।
पहचान को लेकर मुजफ्फरनगर में मचा बवास
इस बीच, दिल्ली-देहरादून हाईवे पर एक ढाबे पर साधुओं की टोली पहुंची। उन्होंने वहां के एक कर्मचारी से उसका नाम पूछा – उसने जवाब दिया “गोपाल”। लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि उसका असली नाम तजम्मुल है और वह मुजफ्फरनगर के बझेरी गांव का रहने वाला है। इस खुलासे के बाद बवाल मच गया।
कर्मचारी के आधार कार्ड से उसकी असली पहचान सामने आई। खुद तजम्मुल ने कबूला कि ढाबा मालिक ने उसे ‘गोपाल’ नाम दिया था और कड़ा भी पहनाया था। गांववालों ने भी यही बात कही।
अब इस मुद्दे को लेकर गरमाई सियासत
ओवैसी ने सवाल उठाया – क्या अब पहचान पूछना अपराध है या नाम छुपाना गुनाह?
सपा नेता एसटी हसन ने कहा – धोखा देकर कारोबार करना गलत है।
वहीं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बोले – सपा शरिया कानून लागू करना चाहती है, वो कांवड़ियों की तुलना आतंकियों से कर रही है।
इस बीच, पुलिस ने जांच तेज कर दी है और ढाबे से जुड़े लोगों को नोटिस भेजे गए हैं।
बहरहाल अब कांवड़ यात्रा तो निकलेगी, लेकिन अब रास्ते में सिर्फ जल नहीं बहेगा… पहचान और धर्म की बहस भी साथ चलेगी।
