लोकसभा चुनाव 2024 के बाद पहली बार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को लखनऊ में एक ही मंच पर सार्वजनिक रूप से नजर आए. यूपी पुलिस भर्ती के नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में दोनों नेताओं की बेहतर केमिस्ट्री देखने को मिली. अमित शाह ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को ‘मित्र’ कहकर संबोधित किया, जिससे पार्टी के भीतर संतुलन और एकजुटता का संदेश देने की कोशिश साफ दिखी.
जातीय संतुलन साधता मंच, 15 अभ्यर्थियों को सौंपे नियुक्ति पत्र
कार्यक्रम में अमित शाह ने मंच से 15 चयनित पुलिस अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपे. इनमें ठाकुर, ब्राह्मण, यादव, सैनी, कुशवाहा, दलित, मुस्लिम समेत विभिन्न जातीय समुदायों के प्रतिनिधित्व ने बीजेपी के सामाजिक न्याय एजेंडे को दर्शाया. योगी सरकार ने मंच से जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधते हुए हर कोने से युवाओं को शामिल किया.
सीएम योगी की नौ बार तारीफ, शाह का ज़ोरदार समर्थन
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में नौ बार अमित शाह का नाम लिया, वहीं शाह ने भी यूपी में केंद्र की योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने का श्रेय योगी सरकार को दिया. शाह ने योगी के नेतृत्व में पुलिस भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता की सराहना करते हुए पूर्ववर्ती सपा सरकार पर तीखा हमला बोला.
ओबीसी-सवर्ण संतुलन की सियासी रणनीति
डिप्टी सीएम मौर्य को ‘मित्र’ कहकर संबोधित करने का शाह का अंदाज़ सियासी संकेतों से भरपूर था. एक ओर योगी हिंदुत्व और सवर्ण राजनीति के मजबूत स्तंभ हैं, तो मौर्य बीजेपी के प्रमुख ओबीसी चेहरे हैं. इस मंच से दोनों नेताओं की अहमियत को समान रूप से दर्शाकर शाह ने आगामी पंचायत चुनावों से पहले सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने की रणनीति अपनाई.
कानून-व्यवस्था में बदलाव का दावा
अमित शाह ने अपने भाषण में कहा कि यूपी अब दंगों का गढ़ नहीं, बल्कि दंगामुक्त प्रदेश बन चुका है. उन्होंने कहा कि बीजेपी शासन में कानून-व्यवस्था में बड़ा सुधार हुआ है और यूपी आज हर केंद्रीय योजना में अग्रणी राज्य है.
यह आयोजन, रोजगार के साथ युवाओं और समाज के हर वर्ग को साथ जोड़ने का प्रयास साबित हुआ.
