Pahalgam Attack के बाद मोदी सरकार की एक के बाद स्ट्राइक, इस बार चली ऐसी चाल घबराए ‘भाईजान’

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाते हुए राज्य के 48 रिसॉर्ट और कई प्रमुख पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया है। इस फैसले का उद्देश्य लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करना और आतंकी गतिविधियों को रोकना है। यह कदम खुफिया एजेंसियों की चेतावनी और सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिश पर उठाया गया है।

पिछले हफ्ते पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। यह हमला बेहद सुनियोजित तरीके से किया गया था और इसके पीछे स्लीपर सेल्स का हाथ बताया जा रहा है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, घाटी में छिपे हुए कुछ आतंकियों को बड़े हमले के निर्देश मिले हैं और वे सक्रिय हो चुके हैं। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने तुरंत ऐहतियाती कदम उठाया और 87 में से 48 पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया गया।

किन स्थानों पर लगी रोक

बंद किए गए रिसॉर्ट और स्थल उन क्षेत्रों में स्थित हैं, जिन्हें आतंकी हमलों की दृष्टि से संवेदनशील माना जा रहा है। इनमें दूधपात्री, वेरीनाग, यूसमर्ग, और आहारबल जैसे शांतिपूर्ण लेकिन लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी शामिल हैं। इन इलाकों में पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी गई है और पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है।

बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था

गुलमर्ग, सोनमर्ग, डल झील और श्रीनगर जैसे बड़े पर्यटन हब में विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। एंटी-फिदायीन दस्ते और विशेष निगरानी टीमों को इन इलाकों में सक्रिय किया गया है। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों के ज़रिए चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है। इसके अलावा, स्थानीय पुलिस और सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर असर

यह निर्णय जहां एक ओर सुरक्षा के लिहाज से आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर इसका असर राज्य की अर्थव्यवस्था और आम लोगों की आजीविका पर पड़ सकता है। पर्यटन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में यहां का पर्यटन धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा था। रिसॉर्ट मालिक, होटल व्यवसायी, टैक्सी चालक, और फल व्यापारी जैसे हजारों लोग इस उद्योग पर निर्भर हैं।

अब इन रिसॉर्ट्स और स्थलों के बंद होने से न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का विश्वास भी डगमगा सकता है। कई व्यवसायी जो घाटी में निवेश की योजना बना रहे थे, वे अब अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं। इससे न केवल रोजगार के अवसर घटेंगे बल्कि स्थानीय लोगों की आय पर भी गहरा असर पड़ेगा।

आगे की रणनीति

सरकार का कहना है कि यह फैसला स्थायी नहीं है, बल्कि हालात सामान्य होते ही इन स्थलों को दोबारा खोला जाएगा। फिलहाल, सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। राज्य प्रशासन का यह भी कहना है कि आम नागरिकों को सुरक्षित रखने और आतंकी मंसूबों को नाकाम करने के लिए यह कदम उठाना जरूरी था।

फिलहाल सभी की निगाहें आने वाले कुछ हफ्तों पर टिकी हैं, जब यह तय होगा कि घाटी में हालात कितनी जल्दी सामान्य होते हैं और पर्यटक फिर से इन खूबसूरत वादियों की ओर लौटते हैं।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra

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