महाकुंभ में समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा लगाने पर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। करीब तीन फुट ऊंची इस प्रतिमा का अनावरण शनिवार को किया गया, जिसके बाद साधु-संतों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। साधु-संतों ने इसे हिंदू विरोधी कदम बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया है।
इस विवाद पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फकरुल हसन चंद ने कहा कि साधु-संतों की ओर से कोई विरोध नहीं हो रहा है, बल्कि यह विरोध केवल भारतीय जनता पार्टी की ओर से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह स्मृति सेवा संस्थान ने कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भोजन, रहने और कंबल वितरण की व्यवस्था की है।
फकरुल हसन चंद का भाजपा पर आरोप
फकरुल हसन चंद ने यह भी कहा कि भाजपा खुद कोई सेवा कार्य नहीं करती और अगर कोई संस्थान मुलायम सिंह यादव के नाम से सेवा कर रहा है, तो भाजपा को इससे परेशानी हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा केवल राजनीति कर रही है और साधु-संतों को इसमें खींच रही है।
नेताओं की मूर्तियां लगाई जानी चाहिए: अंशु अवस्थी
दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं, उनकी प्रतिमा लगाना अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि नेताओं की मूर्तियां लगाई जानी चाहिए, चाहे वह गोविंद बल्लभ पंत हो, जवाहरलाल नेहरू हो या मुलायम सिंह यादव। अवस्थी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा का इस मुद्दे पर दोहरा चरित्र उजागर हो रहा है। कभी भाजपा मुलायम सिंह यादव पर आरोप लगाती है कि उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवाई थी, और कभी उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित करती है।
न्यास सेवा समिति ने लगाई नेता की मूर्ति
शनिवार को महाकुंभ में विभिन्न संस्थानों ने अपने-अपने स्थानों पर मूर्तियों का अनावरण किया। इसी क्रम में मुलायम सिंह न्यास सेवा समिति को भी स्थान मिला, जहां मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा स्थापित की गई। प्रतिमा के अनावरण के बाद से ही यह विवाद सुर्खियों में बना हुआ है।
