राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण का मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक ने सोमवार को रुख कर लिया है. ये कदम मेटा द्वारा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के आदेश के खिलाफ उठाया गया है. दरअसल सीसीआई ने अपने आदेश में मेटा पर अपनी दबदबे वाली स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए 213.14 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोंक दिया है. इस जुर्माने के खिलाफ मेटा द्वारा NCLAT में एक याचिका दायर कर सुनवाई की गुहार लगाई गई है.
मेटा की ओर से जल्द सुनवाई का अनुरोध
मेटा की इस याचिका का एनसीएलएटी के चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण की पीठ के समक्ष उल्लेख किया गया. इस तीन सदस्यीय पीठ में तकनीकी सदस्य बरुण मित्रा और अरुण बरोका भी शामिल हैं. मेटा की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने मामले के महत्व और प्रकृति को देखते हुए तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया है.
2021 में आई अपडेटेड प्राइवेसी पॉलिसी का है मामला
जस्टिस अशोक भूषण की पीठ द्वारा याचिका को सुनवाई के लिए 16 जनवरी को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है. सीसीआई ने 18 नवंबर को अपने आदेश में मेटा पर 213.14 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया था. मेटा के खिलाफ 2021 की व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी में अपडेट को लेकर अनुचित व्यावसायिक तरीके अपनाने के लिए जुर्माना लगाया गया था. इसके अलावा सीसीआई द्वारा मेटा को प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार से बचने और उनसे दूर रहने का निर्देश भी जारी किया गया था. बता दें कि ये पूरा विवाद 2021 में मेटा की तरफ से व्हाट्सएप के लिए लागू की गई अपडेटेड प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर है. मेटा द्वारा व्हाट्सएप के लिए एक एक नई प्राइवेसी पॉलिसी लाई गई थी. इसमें यूजर्स को इसके उपयोग के लिए कई शर्तों को रखा गया था.
मेटा को दिल्ली HC और सुप्रीम कोर्ट से मिला झटका
इन शर्तों में दूसरी कंपनियों के साथ डेटा शेयर करना भी शामिल किया गया था. चूंकि यूजर्स के पास दूसरा कोई उपाय ना होने के कारण इस अपडेट को स्वीकार करना पड़ा था. इसपर CCI ने विरोध जाहिर किया है. साल 2021 में CCI ने मामले का संज्ञान लिया और जांच शुरू कर दी. इसके बाद मेटा ने दिल्ली हाई कोर्ट समेत सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया लेकिन दोनों जगहों से उसे निराशा ही हाथ लगी थी. अब NCLT इस मामले को लेकर 16 जनवरी को सुनवाई करने वाला है.
