महाकुंभ 2025: सीएम योगी ने बदले दो शब्द, नई परंपरा की ओर संकेत

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ 2025 की तैयारियों के तहत आयोजन से जुड़े दो प्रमुख परंपरागत शब्दों, ‘शाही स्नान’ और ‘पेशवाई’, के नाम बदलने का फैसला किया है। इस बदलाव को भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के अधिक निकट लाने का प्रयास बताया गया है।

क्या हैं नए नाम?

‘शाही स्नान’ को अब ‘दिव्य स्नान’ कहा जाएगा। ‘पेशवाई’ को अब ‘धर्म प्रवेश यात्रा’ नाम दिया गया है। इन नए नामों का उद्देश्य आयोजन को और अधिक आध्यात्मिक और भारतीय परंपरा के अनुरूप बनाना है।

योगी सरकार का तर्क

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “महाकुंभ एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव है। इसके हर पहलू को भारतीयता और धार्मिक परंपरा के करीब लाने की जरूरत है। इन नामों का बदलाव इस दिशा में एक कदम है, जो इसकी पवित्रता और गरिमा को और अधिक बढ़ाएगा।”

शाही स्नान और पेशवाई का महत्व

शाही स्नान

महाकुंभ में अखाड़ों के साधु-संतों का पवित्र गंगा में स्नान, जिसे शाही स्नान कहा जाता है, आयोजन का सबसे प्रमुख आकर्षण होता है। यह आध्यात्मिकता और परंपरा का प्रतीक है।

पेशवाई

अखाड़ों के संतों और महंतों की शोभायात्रा, जिसे पेशवाई कहा जाता है, महाकुंभ का एक अनिवार्य हिस्सा है।
इन दोनों परंपराओं का महाकुंभ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व में बड़ा योगदान है।

प्रशंसकों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

समर्थन

धार्मिक संगठनों और संस्कृति के जानकारों ने इस फैसले का स्वागत किया। उनका मानना है कि यह बदलाव आयोजन की गरिमा को और बढ़ाएगा।
आचार्य अवधेशानंद गिरी, “दिव्य स्नान और धर्म प्रवेश यात्रा जैसे नाम भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाते हैं।”
आलोचना

कुछ परंपरावादियों और विपक्षी दलों ने इसे अनावश्यक बताया।
विपक्ष का तर्क, “महाकुंभ की परंपराओं को छेड़ना अनुचित है। ये नाम सदियों से हमारी संस्कृति का हिस्सा रहे हैं।”

महाकुंभ 2025 की तैयारियां

महाकुंभ 2025 को ऐतिहासिक बनाने के लिए राज्य सरकार बड़े पैमाने पर तैयारियां कर रही है। प्रयागराज में विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। 100 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। घाटों की सफाई और गंगा की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

विशेषज्ञों की राय

संस्कृति विशेषज्ञ प्रो. राजेश त्रिपाठी ने कहा, “शब्दों का प्रभाव बड़ा होता है। यह बदलाव महाकुंभ की आध्यात्मिकता और भारतीयता को और गहराई देगा।”

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra