दिवाली से पहले महंगाई की मार, सब्जियों के दामों ने मचाया हाहाकार, बढ़े आलू-प्याज़ के इतने दाम

महंगाई की मार ने तो पहले ही आम आदमी की कमर तोड़ रखी है. वहीं आए दिन हरी सब्जियों की महंगाई ने लोगों के किचन के बजट को बिगाड़ दिया है. जिसके बाद अब लोगों की थाली से सलाद भी गायब होता दिख रहा है. दरअसल आसमान छू रही टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों की वजह से लोगों ने हरी सब्जियों से किराना कर लिया है. खुदरा बाजार में जहां आलू की कीमतें 40 रुपए किलो हैं. वहीं टमाटर की कीमतें 100 रुपए किलो के पार जा पहुंची हैं. यही हाल प्याज और बाकी हरी सब्जियों का भी है.

आखिर क्यों बढ़ रही हैं सब्जियों की कीमतें?

टमाटर, आलू, प्याज की कीमतों में इजाफा होने के पीछे कई कारण हैं. जिसमें मौसम की मार सबसे बड़ा कारण है. बारिश के चलते आपूर्ति में कमी आई है. इसके अलावा स्टोरेज भी महंगाई बढ़ने का एक कारण है. बारिश और गर्मी के चलते हरी सब्जियों समेत टमाटर, आलू की फसल प्रभावित हुई है. वहीं दूसरी तरफ कोल्ड स्टोर की कमी और दूसरे कारणों की वजह से सब्जियों का स्टोरेज प्रभावित हुआ है. जिस कारण फसल खराब हो गई और मार्केट तक नहीं पहुंच सकी. मीडिया स्टडी में पता चला है कि जिस मौसम में सब्जियों की पैदावार कम होती है तब सब्जियों की कीमतें बढ़ जाती हैं. वहीं जिस मौसम में पैदावार ज्यादा होती है उस समय कीमतें कम या लेवल पर होती हैं. उतार-चढाव के कारण इनके रेट पर असर पड़ता है.

सरकार की कोशिशें हो रहीं नाकाफी

सब्जियों की महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं लेकिन इसके बावजूद सब्जियों के दाम थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. टमाटर, प्याज और आलू की वजह से महंगाई में भी बढ़ोत्तरी हुई है. खाद्य पदार्थों की महंगाई रिजर्व के लिए चुनौती बनती जा रही है. खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 45.9% है.

टमाटर का सबसे उत्पादक है भारत

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट की मानें तो टमाटर, प्याज और आलू के प्रोडक्शन में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है. बीते साल टमाटर का प्रोडक्शन 20.4 मिलियन मीट्रिक टन रहा था. जबकि प्याज का उत्पादन 30.2 MMT और आलू 60.1 MMT होने का अनुमान है. दुनिया में भारत टमाटर का सबसे बड़ा और आलू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. भारत ने इस मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है.

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra