T-20 में मिला ‘रफ्तार के किंग’ को जौहर दिखाने का मौका, जिसके नाम से कांपते है दिग्गज बल्लेबाज, वो अब तक कहां था, पढ़ें इस रिपोर्ट में ?

भारतीय टीम को 6 अक्टूबर से बांग्लादेश के खिलाफ 3 मैचों की टी20 सीरीज खेलनी है. इस सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान भी हो चुका है. बीसीसीआई द्वारा 15 सदस्यों वाले स्क्वॉड की लिस्ट भी जारी कर दी गई है. वहीं इस सीरीज में तेज गेंदबाज मयंक यादव को भी मौका दिया गया है.

पिता के सपने को पूरा कर रहे मयंक

क्रिकेटर मयंक यादव के पिता प्रभु यादव मूलतः बिहार के सुपौल जिले के रहने वाले हैं. हालांकि मयंक का जन्म दिल्ली में ही हुआ है और मयंक दिल्ली में ही पले-बढ़े हैं. वहीं मयंक के पिता प्रभु यादव 4 भाई थे और उनकी 2 बहनें थीं. प्रभु यादव ने अपने इंटरव्यू में बताया है कि घर में वो दूसरे नंबर पर थे. मयंक के पिता प्रभु यादव को खुद क्रिकेट खेलना पसंद था लेकिन घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब होने के कारण उन्हें 18 साल की उम्र में कमाने के लिए दिल्ली आना पड़ा. इस तरह क्रिकेट उनसे दूर हो गया लेकिन दिल्ली में रहने के दौरान मयंक का जन्म हुआ और उन्होने बेटे के जरिए अपना सपना पूरा करने की कोशिश की. जब मयंक 4 साल के थे तब एक बार उनके पिता छुट्टी के दिन पार्क में घुमाने के लिए ले गए. इस दौरान उन्होंने बच्चों को क्रिकेट खेलते देखा तो अपने सपने की याद आ गई. फिर पिता प्रभु यादव ने बेटे मयंक से पूछा- ‘क्या तुम क्रिकेट खेलोगे?’. इस पर मयंक ने कहा- ‘जैसी आपकी मर्जी’. इस तरह उनका क्रिकेट खेलना तय हो गया. इसके बाद मयंक के पिता ने जिमखाना क्रिकेट क्लब में एडमिशन करा दिया. मयंक की खेलने के साथ धीरे-धीरे रुचि तेज गेंदबाजी में बढ़ी और वो इसी में रम गए. 16 साल की उम्र में मयंक ने सोनेट क्लब का रुख किया. जहां कोच तारक सिन्हा ने उनके टैलेंट को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

एक समय सबने मयंक को क्रिकेट सिखाने से कर दिया था मना

मयंक के पिता ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया है कि जब मयंक 16 साल के थे और अच्छे क्लब की तलाश कर रहे थे. तब वो दिल्ली के कई क्लबों में गए लेकिन सभी ने मयंक को क्रिकेट सिखाने से मना कर दिया. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिश करते रहे. फिर दिल्ली के सोनेट क्लब के बारे में उन्हें पता चला. प्रभु यादव ने बताया कि कोच तारक सिन्हा निष्पक्ष होने के लिए जाने जाते थे. इसलिए वो उनके पास गए और जब ट्रायल हुआ तो वहां मौजूद सभी लोग मयंक की स्पीड और लाइन-लेंथ देखकर हैरान रह गए. उन्होंने उनके टैलेंट को निखारने की जिम्मेदारी ली लेकिन वो इतने प्रभावित थे, कि कोचिंग की फीस लेने से मना कर दिया.

स्पीड और खतरनाक बाउंसर के लिए मशहूर हैं मयंक

आईपीएल में अपनी 156.7 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंककर सनसनी फैलाने वाले मयंक पहली बार इंटरनेशनल स्टेज पर दिखाई देंगे. मयंक हालांकि सिर्फ 4 मैच ही खेल पाए थे, जिसमें उन्होंने 7 विकेट लिए थे. एक मैच के दौरान वो हैमस्ट्रिंग की चोट के कारण पूरे सीजन से बाहर हो गए थे. इसके बाद से ही वो बीसीसीआई की निगरानी में अपनी फिटनेस पर काम कर रहे थे. वहीं मयंक की क्रिकेट में एंटी बहुत ही दिलचस्प है. उनके पिता खुद क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन परिस्थितियों के आगे हार गए. आज उनका बेटे मयंक टीम इंडिया के लिए डेब्यू करने वाले हैं. बता दें कि 6 फीट 1 इंच के मयंक यादव आईपीएल में खेलने से पहले घरेलू क्रिकेट में दिल्ली के लिए खेला करते थे. मयंक अपनी स्पीड और खतरनाक बाउंसर के लिए मशहूर थे. इस वजह से दिल्ली के बल्लेबाजों में मयंक खौफ रहता था.

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra