अगर इरादा पक्का हो तो शारीरिक कमजोरी कोई मायने नहीं रखती. इंसान हर बाधा को पार कर अपने मुकाम को पा ही लेता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है अवनी लेखरा ने. अवनी लेखरा ने पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया है. अवनी ने महिला स्टैंडिंग 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. अवनी की इस सफलता ने दुनिया भर में भारत का नाम रोशन कर दिया है.
अभिनव बिंद्रा से अवनी ने ली प्रेरणा
बीजिंग ओलंपिक में भारतीय खेल इतिहास में पहला गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा से अवनी ने प्रेरणा ली. अवनी ने अपनी मां और कोच की सहायता से इस खेल में कदम रखा. जल्द ही उन्होंने अपने हुनर को निखारना शुरू किया और 2015 में पहली बार नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया. मेहनत और दृढ़ संकल्प के बूते वह 2020 टोक्यो पैरालंपिक में खेली और महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल SH1 इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया. इसके साथ ही उन्होंने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन SH1 इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल भी जीता. पैरालंपिक खेलों के इतिहास में शूटिंग गोल्ड जीतने वाली अवनी पहली भारतीय थीं.
एक सड़क हादसे ने तोड़ दिया था अवनी का हौसला
अवनी लेखरा भारतीय खेल जगत में चमकता हुआ सितारा बन कर उभरी हैं. अवनी लेखरा ने अपनी मेहनत और साहस बलबूते ना सिर्फ अपनी किस्मत बदली, बल्कि लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गईं हैं. 8 नवंबर 2001 को राजस्थान की राजधानी जयपुर में जन्मी अवनी लेखरा जब 12 साल की थीं तब उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. एक कार हादसे में अवनी की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट लगी, जिससे उन्हें लकवा मार गया. इस हादसे की वजह से अवनी हमेशा-हमेशा के लिए व्हिलचेयर पर आ गईं. कच्ची उम्र में हुए इस हादसे ने उन्हें तोड़कर रख दिया था लेकिन अवनी ने इसे एक चैलेंज की तरह लिया और जीवन की जंग में आगे बढ़ती गईं. अवनी लेखरा ने यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान से लॉ की डिग्री प्राप्त की है. इसके साथ ही अवनी ने पेशेवर शूटिंग में जूनियर और सीनियर लेवल का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है. अवनी को अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों के लिए पद्म श्री और खेल रत्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.
