क्या था अजमेर कांड, जिसके आरोपियों को मिली आजीवन कारावास की सजा, पढ़ें इस रिपोर्ट में

अपनी खूबसूरती और परंपराओं के लिए राजस्थान पूरी दुनिया में लोकप्रिय है. यहां का इतिहास ऐसा रहा है कि महिलाएं अपनी इज्जत पर आंच ना आए. इसके लिए जौहर कर लिया करती थीं लेकिन इसी राज्य के बेहद पवित्र शहर अजमेर में 1990 से 1992 तक कुछ ऐसा हुआ. जिसने पूरे देश में रोष पैदा कर दिया. दरअसल अजमेर में इन दो सालों में 100 से ज्यादा स्कूली बच्चियों का गैंगरेप किया गया था. मंगलवार को इसी मामले में बच्चियों को 32 साल बाद इंसाफ मिला. आपको बता दें स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने इस मामले में 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई है. इस केस में कुल 18 आरोपी थे. जिनमें से 9 आरोपियों को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है. जबकि एक आरोपी पहले से ही एक दूसरे मामले में जेल में बंद है. एक आरोपी सुसाइड कर चुका है और एक आरोपी अभी भी फरार है.

मई 1992 में मामले को लेकर छपी पहली खबर
अजमेर शहर में उस समय एक अख़बार निकलता था. नवज्योति दैनिक अख़बार. मई 1992 में की एक सुबह जब शहर के लोगों ने अखबार पढ़ा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. दरअसल खबर की हेडलाइन थी ‘बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेलिंग का शिकार’. इस खबर को लिखा था एक युवा रिपोर्टर संतोष गुप्ता ने. जैसे ही ये रिपोर्ट अखबार में छपी और लोगों तक पहुंची पूरे शहर में हंगामा मच गया. दोपहर होते-होते बात राजस्थान के मुख्यमंत्री तक पहुंची. उस समय राज्य में बीजेपी की सरकार थी और मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत थे. इस मामले को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लेते हुए पुलिस से कहा कि आरोपी किसी भी कीमत पर बचने ना पाएं. हालांकि पुलिस की कार्रवाई में देरी होने के चलते आरोपी हर साक्ष्य मिटाने के पूरे इंतजामों में जुटे हुए थे. अखबार में खबर छपे करीब 15 दिन बीत चुके थे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी.

दूसरी खबर में आरोपियों की तस्वीरें कीं उजागर
संतोष गुप्ता हर दिन अख़बार में केस से जुड़ी नई-नई जानकारियों के बारे में लिख रहे थे. इस दौरान जब संतोष गुप्ता को लगा कि आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है तो उन्होंने अपनी दूसरी खबर में आरोपियों की तस्वीरें भी छाप दी. संतोष गुप्ता की दूसरी खबर का शीर्षक था ‘छात्राओं को ब्लैकमेल करने वाले आजाद कैसे रहे गए?’. जब लोगों ने आरोपियों की तस्वीरें पीड़ित लड़कियों के साथ देखीं. तो लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. पूरा शहर गुस्से से भर गया. इसके बाद तीसरी खबर छापी गई. इस खबर का शीर्षक था ‘सीआईडी ने 5 माह पहले ही दे दी थी सूचना!’. फिर आई संतोष गुप्ता की चौथी खबर ‘डेढ़ महीने पहले ही ये तस्वीरें देख लिया था’. संतोष गुप्ता की चौथी खबर ने लोगों के गुस्से का बांध तोड़ दिया क्योंकि ये खबर एक बयान के आधआर पर छपी थी. ये बयान राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री दिग्विजय सिंह ने दिया था. गृहमंत्री के बयान के बाद लोगों को लगा कि जब सरकार और प्रशासन को पहले से पूरे केस के बारे में और आरोपियों के बारे में पता है. तो आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. जिसके बाद लोग सड़कों पर उतर आए और अजमेर बंद का ऐलान कर दिया. विश्वहिंदू परिषद, शिवसेना, बजरंग दल जैसे संगठनों ने पूरे शहर में खूब बवाल काटा. इस दौरान अजमेर जिला बार एसोसिएशन के वकील भी लड़कियों को इंसाफ दिलाने के लिए आगे आ गए.

तत्कालीन सीएम भैरोंसिंह शेखावत ने केस सीआईडी को सौंपा
वहीं जब ये मामला तूल पकड़ने लगा. तो राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने इस केस को सीबी सीआईडी के हाथों में सौंप दिया. केस की जांच के लिए सीनियर आईपीएस अधिकारी एन.के पाटनी अपनी पूरी टीम के साथ अजमेर पहुंचे. मामले की जांच 31 मई को शुरू हुई. इस जांच में युवा कांग्रेस के शहर अध्यक्ष और दरगाह के खादिम चिश्ती परिवार के फारूक चिश्ती, उपाध्यक्ष नफीस चिश्ती, संयुक्त सचिव अनवर चिश्ती, पूर्व कांग्रेस विधायक के रिश्तेदार अलमास महाराज का नाम सामने आया. इसके अलावा इशरत अली, इकबाल खान, सलीम, जमीर, सोहेल गनी, पुत्तन इलाहाबादी, नसीम अहमद उर्फ टार्जन, प्रवेज अंसारी, मोहिबुल्लाह उर्फ मेराडोना, कैलाश सोनी, महेश लुधानी, पुरुषोत्तम उर्फ जॉन वेसली उर्फ बबना और हरीश तोलानी जैसे नाम जांच में सामने आए. जिनमें हरीश तोलानी वो शख्स था जो लड़कियों की लैब में अश्लील तस्वीरें तैयार करता था.

पहले 8 आरोपियों की हुई थी गिरफ्तारी
सीबी सीआईडी की जांच के बाद पहले 8 लोगों को गिरफ्तारी की गई थी. वहीं साल 1994 में एक आरोपी पुरुषोत्तम जब जेल से बाहर आया. तो उसने आत्महत्या कर ली. जबकि इस केस का पहला फैसला 6 साल बाद आया और इसमें 8 लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई और अब 32 साल बाद 6 दोषियों उम्रकैद की सजा हुई.

पीड़ित 6 लड़कियों ने कर ली थी आत्महत्या
ये पूरा मामला 1991 के आसपास शुरू हुआ था. अजमेर शहर के एक बड़े युवा नेता ने एक बिजनेसमैन की बेटी से दोस्ती कर ली. नेता ने लड़की को झांसा देकर फायसागर स्थित फरुख चिश्ती के पॉल्ट्री फॉर्महाउस पर बुला लिया. वहां पहले लड़की का रेप किया गया और फिर उसके फोटो खींचे गए. जिसके बाद आरोपी पीड़ित लड़की को इन फोटोज के जरिए ब्लैकमेल किया. आरोपियों ने लड़की से कहा कि वह अपने दोस्तों को भी फॉर्महाउस पर ले आए. ऐसा करके आरोपियों ने लगभग 100 लड़कियों का रेप किया और लड़कियों की न्यूड तस्वीरें खींचीं. वहीं बाद में जब इस मामले की जांच हुई तो पता चला कि ये आरोपी जिस लैब में इन लड़कियों की फोटो तैयार करवाते थे. वहां से ये तस्वीरें शहर में और लोगों को हाथ लग गईं थी. उन लोगों ने भी इन तस्वीरों की बदौलत लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनका रेप किया. पीड़ित सभी लड़कियों की उम्र महज 17 से 20 साल थी. जब शहर भर में लड़कियों की तस्वीरें बंटने लगीं. तो पीड़ित 6 लड़कियों ने आत्महत्या कर ली. वहीं कुछ परिवारों ने शहर छोड़ दिया और गुमनामी की जिंदगी जीने लगे.

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra