रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4–5 दिसंबर 2025 को वार्षिक भारत-रूस समिट में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली आ रहे हैं। इस हाई-लेवल विज़िट के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग पर गहन बातचीत होने की उम्मीद है। भारत विशेष रूप से रूस से अगली पीढ़ी के Su-57 फाइटर जेट और उन्नत S-500 एयर डिफेंस सिस्टम की संभावित खरीद पर चर्चा करने की तैयारी कर रहा है। हालांकि, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरे में किसी बड़े डील के साइन होने की संभावना कम है, लेकिन रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने वाला माहौल जरूर बनेगा।
भारत का संतुलित कूटनीतिक समीकरण
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका के साथ अपने रक्षा और आर्थिक संबंधों को काफी मजबूत किया है। इसके बावजूद रूस के साथ भारत का दशकों पुराना भरोसेमंद रक्षा रिश्ता आज भी कायम है। भारत ने हथियार खरीद में रूस पर निर्भरता घटाने के लिए अमेरिका और यूरोप से आयात बढ़ाया है, लेकिन रूस अभी भी देश का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर बना हुआ है। SIPRI के आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार वर्षों में कुछ कमी के बावजूद भारत की अधिकतर बड़ी सैन्य खरीद रूस से ही हुई है।
एयर फोर्स की जरूरत और Su-57 की अहमियत
भारतीय वायुसेना के पास अभी भी 200 से ज्यादा रूसी लड़ाकू विमान मौजूद हैं, जिन पर वायुसेना की बड़ी जिम्मेदारी टिकी है। वायुसेना को अतिरिक्त फाइटर जेट्स की सख्त जरूरत है, इसलिए सैन्य नेतृत्व ने सरकार को Su-57 जैसे नेक्स्ट-जेनरेशन फाइटर को खरीदने पर गंभीरता से विचार करने की सलाह दी है। Su-57 की लंबी दूरी की मिसाइलें भारत को बियॉन्ड विज़ुअल रेंज क्षमता देंगी और पायलट पहले से रूसी तकनीक के साथ काम कर चुके हैं, जिससे नए सिस्टम को अपनाना आसान होगा।
S-400 डिलीवरी पर स्पष्टता की उम्मीद
इस समिट के दौरान भारत रूस से लंबित S-400 बैटरियों की डिलीवरी टाइमलाइन पर स्पष्ट जानकारी मांग सकता है। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि बातचीत का फोकस बड़े-पैमाने वाले सहयोग पर होगा, न कि किसी तत्काल घोषणा पर। रूस ने आश्वासन दिया है कि बाकी बची S-400 डिलीवरी वित्त वर्ष 2026-27 तक पूरी कर दी जाएगी। भारत Su-30 फाइटर जेट अपग्रेड और विभिन्न संयुक्त रक्षा प्रोजेक्ट्स को भी तेज गति से आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है।
डिफेंस के साथ-साथ आर्थिक एजेंडा भी तैयार
पुतिन के इस दौरे में बड़े रक्षा सौदों की घोषणा भले ही न हो, लेकिन भारत-रूस रक्षा साझेदारी मजबूत बनी रहने की उम्मीद है। साथ ही दोनों देश आर्थिक संबंधों को नई दिशा देने की तैयारी कर रहे हैं। नई दिल्ली 4 और 5 दिसंबर को मेगा इंडिया-रूस बिजनेस फोरम की मेजबानी करेगा, जहां व्यापार, निवेश और ऊर्जा सहयोग पर भी महत्वपूर्ण चर्चा होने की संभावना है।