हिंदू धर्म में विवाहित स्त्री की मांग में भरा जाने वाला सिंदूर सिर्फ एक श्रृंगार नहीं, बल्कि गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थों से जुड़ा प्रतीक है। प्राचीन काल से चली आ रही इस परंपरा का संबंध माता सीता तक जाता है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भी अपनी मांग में सिंदूर भरती थीं। विवाह के समय दूल्हा अपनी दुल्हन की मांग में सिंदूर भरकर उसके सुहाग की रक्षा और दीर्घायु का आशीर्वाद देता है। यही कारण है कि सिंदूर को सौभाग्य, प्रेम और दांपत्य सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
विवाह में तीन बार सिंदूर भरने की विशेष परंपरा
हिंदू विवाह में दूल्हा दुल्हन की मांग में सिंदूर केवल एक बार नहीं, बल्कि तीन बार भरता है। यह प्रक्रिया सिर्फ रस्म नहीं, बल्कि अत्यंत शुभ और धार्मिक महत्व वाली मानी गई है। तीन बार सिंदूर भरना जीवन के तीन मूल आधारों धन, ज्ञान और शक्ति का आह्वान माना जाता है। यह विवाह में संतुलन, सौभाग्य और स्थिरता लाने का प्रतीक है।
पहला सिंदूर: देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद
पहली बार सिंदूर भरना माता लक्ष्मी का आह्वान माना जाता है। लक्ष्मी समृद्धि, धन और शुभता की देवी हैं। मान्यता है कि विवाह के समय पहली बार सिंदूर भरने से नवविवाहित दंपति का जीवन खुशहाल रहता है और घर में कभी अभाव नहीं आता। यह दांपत्य जीवन को सुख-संपत्ति से भरने का शुभ संकेत माना जाता है।
दूसरा सिंदूर: देवी सरस्वती की कृपा
दूसरी बार सिंदूर भरने का संबंध माता सरस्वती से है, जो विद्या, वाणी और बुद्धि की देवी हैं। विवाह केवल प्रेम का बंधन नहीं, बल्कि समझ, धैर्य और संवाद का भी संबंध है। इसलिए सरस्वती का आशीर्वाद दंपति के रिश्ते में परस्पर समझ और बुद्धिमत्ता बढ़ाने वाला माना जाता है। यह भावी जीवन में संतुलन और परिपक्वता का आधार बनता है।
तीसरा सिंदूर: माता पार्वती की शक्ति और सुरक्षा
तीसरी बार सिंदूर भरने का संबंध माता पार्वती से बताया जाता है, जो अखंड सौभाग्य और शक्ति की देवी हैं। उनका आशीर्वाद विवाह को बुरी शक्तियों और नकारात्मकता से बचाता है। माना जाता है कि तीसरी बार भरा गया सिंदूर दांपत्य जीवन को मजबूत करता है और दंपति को हर चुनौती से पार पाने की शक्ति देता है।
नाक पर सिंदूर गिरने का शुभ संकेत
विवाह के समय एक मान्यता यह भी है कि सिंदूर भरते वक्त दुल्हन की नाक पर सिंदूर थोड़ा गिरना बेहद शुभ माना जाता है। यह आने वाले जीवन में सौभाग्य और प्रेम के बढ़ने का संकेत है। साथ ही, परंपरा के अनुसार दुल्हन को एक साल तक वही सिंदूर लगाना चाहिए, जो विवाह के समय उसकी मांग में भरा गया हो। इससे दंपति के बीच प्रेम और आत्मीयता बनी रहती है।