दिल्ली ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों को एक और अहम सुराग मिला है। पुलिस को एक दूसरी संदिग्ध कार EcoSport मिली है, जिसका नंबर DL10CK0458 है। यह कार फरीदाबाद के खंदावली गांव के पास खड़ी मिली। जांच में सामने आया कि यह गाड़ी भी उमर के नाम पर रजिस्टर्ड थी, जो इसका दूसरा मालिक था। कार का पहला मालिक देवेंद्र नाम का व्यक्ति है। दिलचस्प बात यह है कि लाल किले के पास हुए ब्लास्ट में इस्तेमाल की गई i20 कार की ओनरशिप में भी इसी नाम का जिक्र आया है। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि क्या दोनों मामलों में वही एक ही देवेंद्र शामिल है या यह सिर्फ नाम की समानता है।
धमाके से पहले उमर की गतिविधियों पर बड़ा खुलासा
जांच में यह खुलासा हुआ है कि धमाका करने से पहले उमर नबी दिल्ली के कमला मार्केट थाने के पास स्थित एक मस्जिद गया था। वहां वह करीब दस मिनट तक रुका रहा और फिर सीधे लाल किले की ओर निकल गया, जहां कार ब्लास्ट हुआ। यह जानकारी जांच एजेंसियों के लिए बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि इससे उमर की अंतिम गतिविधियों और उसके नेटवर्क का अंदाजा लगाया जा सकता है। फिलहाल पुलिस मस्जिद के सीसीटीवी फुटेज और फोन लोकेशन की जांच कर रही है ताकि उमर के संपर्क में आए लोगों की पहचान हो सके।
लेडी डॉक्टर शाहीन की भूमिका पर गंभीर सवाल
ब्लास्ट केस में अब एक नया मोड़ तब आया जब जांच में डॉ. शाहीन शाहिद का नाम सामने आया। एजेंसियों का कहना है कि शाहीन को जैश-ए-मोहम्मद से सीधे टेरर फंडिंग मिल रही थी। वह वेस्टर्न यूपी में महिलाओं के लिए रिक्रूटमेंट सेंटर खोलने में सक्रिय थी। बताया जा रहा है कि जैश की तरफ से उसे एक मिनी रिक्रूट-कमांड सेंटर तैयार करने के लिए पैसे दिए गए थे। शाहीन सहारनपुर और हापुड़ जैसे इलाकों में ऐसी जगहें तलाश रही थी जो शहर से थोड़ी दूर और नजरों से ओझल हों, ताकि वहां बिना किसी शक के आतंकवादी गतिविधियां चलाई जा सकें।
विदेशी फंडिंग और जैश नेटवर्क के गहरे कनेक्शन
जांच एजेंसियों ने शाहीन, आदिल, उमर और मुजम्मिल के बैंक खातों की गहन जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, शाहीन के अकाउंट में विदेशी फंडिंग के कई ट्रांजेक्शन मिले हैं, जिन्हें लेकर पूछताछ जारी है। इतना ही नहीं, मौलवी इरफान अहमद का नाम भी सामने आया है, जो जैश कमांडर के संपर्क में था और उसे भी संगठन की तरफ से फंड मिल रहा था। शाहीन गरीब मुस्लिम महिलाओं और बच्चियों की मदद के नाम पर जकात और मदरसा फंड जुटा रही थी, लेकिन शक है कि इसी पैसे का इस्तेमाल विस्फोटक खरीदने और हमलों की रेकी के लिए किया गया। जांच में यह भी सामने आया है कि शाहीन जैश सरगना अजहर मसूद की बहन सहीदा अजहर के सीधे संपर्क में थी, जिससे यह साफ होता है कि यह नेटवर्क भारत में बैठे एजेंटों के जरिए पाकिस्तान से संचालित हो रहा था।