भारत के लिए खाड़ी देशों से एक महत्वपूर्ण राहतभरी खबर आई है। सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको ने दिसंबर महीने की डिलीवरी के लिए अपने कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी कटौती की है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब रूस से तेल आपूर्ति में रुकावट के कारण भारत जैसे देशों को नए सप्लाई विकल्प तलाशने पड़ रहे थे। इस कदम से भारत को कच्चे तेल की खरीद पर सीधा आर्थिक फायदा होगा और ऊर्जा लागत में भी कमी आ सकती है।
एशियाई बाजारों के लिए सस्ता तेल
अरामको ने नवंबर की तुलना में अपने सभी प्रमुख ग्रेड्स की कीमतों में 1.2 से 1.4 डॉलर प्रति बैरल की कमी की है। कंपनी का सबसे लोकप्रिय क्रूड ग्रेड ‘अरब लाइट’ अब एशियाई ग्राहकों, जिनमें भारत भी शामिल है, को ओमान/दुबई बेंचमार्क की तुलना में केवल 1 डॉलर प्रति बैरल के प्रीमियम पर उपलब्ध होगा। यह एशियाई बाजारों के लिए एक आकर्षक प्रस्ताव है। वहीं, अमेरिकी ग्राहकों के लिए कीमत में 0.5 डॉलर प्रति बैरल की कटौती की गई है, जबकि यूरोपीय बाजारों के लिए दरें स्थिर रखी गई हैं।
भारतीय रिफाइनरियों को बड़ा फायदा
रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण भारत की तेल आपूर्ति पर हाल के महीनों में दबाव बढ़ गया था। पहले भारत रोजाना करीब 10 लाख बैरल तेल रूस से आयात करता था, लेकिन यह सप्लाई घटने से रिफाइनरियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई थीं। सऊदी की ओर से कीमतों में यह कमी भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर साबित हो सकती है। रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियां सऊदी से अतिरिक्त तेल खरीदने की तैयारी कर रही हैं। अक्टूबर में रिलायंस ने सऊदी से अपने तेल आयात में 87% की बढ़ोतरी की थी और अब कीमत घटने के बाद वह और अधिक तेल खरीद सकती है।
मार्केट शेयर बचाने की सऊदी रणनीति
विश्लेषकों के अनुसार, अरामको का यह कदम केवल भारत को राहत देने के लिए नहीं, बल्कि अपने बाजार हिस्से को बचाने की रणनीति का हिस्सा भी है। वैश्विक स्तर पर तेल की आपूर्ति बढ़ने की संभावना को देखते हुए सऊदी अरब अब एशिया जैसे बड़े बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत रखने पर ध्यान दे रहा है। इस रणनीति के तहत वह प्रतिस्पर्धी कीमतों के जरिये भारत और अन्य देशों को अपने साथ बनाए रखना चाहता है।
भारत की ऊर्जा जरूरतों पर सकारात्मक असर
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का करीब 85% हिस्सा आयात के माध्यम से पूरा करता है, जिसमें सऊदी अरब की भूमिका बेहद अहम है। रूस से आने वाली सप्लाई में कमी के बाद सऊदी की यह कीमत कटौती भारत के लिए राहत लेकर आई है। इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी निजी कंपनियों के साथ-साथ सरकारी तेल कंपनियों के मुनाफे में भी सुधार होगा। कुल मिलाकर, यह फैसला भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता दोनों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।