हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष मास को अग्रहायण या अगहन मास के नाम से भी जाना जाता है। यह वर्ष का नौवां महीना होता है, जिसका नाम पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले ‘मृगशीर्ष’ नक्षत्र से लिया गया है। धर्मशास्त्रों में इसे सबसे पवित्र महीना बताया गया है क्योंकि मान्यता है कि इसी महीने से सतयुग की शुरुआत हुई थी। यह महीना आध्यात्मिक साधना, पूजा-पाठ और पुण्य कर्मों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
कब से कब तक रहेगा मार्गशीर्ष मास
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की शुरुआत कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन से होती है। इस वर्ष मार्गशीर्ष मास 6 नवंबर 2025 से आरंभ होकर 4 दिसंबर 2025 तक चलेगा। कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के बाद सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत इसी महीने में की जाती है। चातुर्मास की समाप्ति के बाद विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों की अनुमति भी अगहन मास से ही मिलती है।
मार्गशीर्ष माह का धार्मिक महत्व
भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है, “मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं।” इसलिए यह महीना भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। इस महीने में देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस पवित्र समय में किया गया हर पुण्य कार्य हजार गुना फल देता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान विष्णु का ध्यान करने से मन को शांति और आत्मिक बल मिलता है।
इस माह में करें ये पुण्य कर्म
मार्गशीर्ष मास में शुक्रवार और पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस महीने में श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करने से आत्मिक शांति मिलती है और जीवन से नकारात्मकता दूर होती है। अगहन के दौरान दान करने का विशेष महत्व बताया गया है, इस समय गरीबों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा देने से घर में बरकत आती है। तुलसी पूजा भी इस महीने की प्रमुख परंपरा है। तुलसी के पास दीपक जलाकर, जल अर्पित कर और तुलसी स्तोत्र का पाठ करने से देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। साथ ही, प्रतिदिन स्नान के बाद “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
इन बातों का रखें ध्यान
इस महीने में सात्विक आहार लेने की सलाह दी जाती है। मांसाहार, प्याज, लहसुन और बासी भोजन से परहेज करना चाहिए। मार्गशीर्ष मास में गुस्सा, आलस, छल-कपट और कटु वचन बोलना अशुभ माना गया है। सूर्यास्त के बाद झाड़ू-पोंछा या नाखून काटना भी वर्जित है।
मार्गशीर्ष मास भक्ति, दान और संयम का महीना है। इस अवधि में किया गया छोटा-सा शुभ कर्म भी बड़े फल प्रदान करता है। इसलिए इस महीने को आत्मिक शुद्धि और ईश्वर के साक्षात्कार का सबसे उत्तम समय कहा गया है।