राजधानी दिल्ली एक बार फिर एसिड अटैक की भयावह घटना से कांप उठी है। बीच सड़क पर एक छात्रा पर तेजाब फेंका गया, जिससे उसके दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए। पीड़िता दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज में पढ़ाई करती है और मुकुंदपुर इलाके की रहने वाली है। पहले तो इस घटना ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी, लेकिन पुलिस जांच में जब यह सामने आया कि खुद छात्रा के पिता ने साजिश रची थी, तो मामला और जटिल हो गया। बताया जा रहा है कि पिता ने दूसरों को फंसाने के लिए यह पूरा प्लान बनाया था। हालांकि पुलिस लगातार मामले की तहकीकात कर रही है और हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं।
एसिड अटैक के आंकड़े बढ़ा रहे चिंता
तेजाब हमले का यह कोई पहला मामला नहीं है। पिछले पांच वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि हर साल औसतन करीब 200 महिलाएं इस घिनौने अपराध की शिकार बनती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में एसिड की खुली बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन फिर भी यह जहर बाजारों में आसानी से मिल जाता है। 2017 में 244 और 2021 में 176 केस दर्ज किए गए थे। एनसीआरबी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में एसिड अटैक की घटनाएं फिर बढ़ रही हैं, जो बेहद चिंताजनक है।
जिंदगी को राख बना देता है तेजाब
एसिड अटैक सिर्फ शरीर को नहीं जलाता, बल्कि आत्मसम्मान, पहचान और सपनों को भी खत्म कर देता है। पीड़िताओं को महीनों तक दर्दनाक ऑपरेशनों और समाज की तिरछी नजरों से लड़ना पड़ता है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कई बार चेतावनी दी कि एसिड आज भी सब्जियों की तरह दुकानों में बिक रहा है। आयोग के अनुसार, कई जिलों में तो एसिड बिक्री की जांच तक नहीं होती।
कानून तो है, लेकिन अमल कमजोर
भारत में आईपीसी की धारा 326A और 326B के तहत एसिड अटैक करने या उसकी कोशिश करने वालों के लिए उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। लेकिन हकीकत यह है कि कानूनी प्रक्रिया इतनी धीमी और जटिल है कि अपराधी अक्सर बच निकलते हैं। कई बार समाजिक दबाव या डर की वजह से पीड़िता ही गवाही से पीछे हट जाती है। यही कारण है कि अपराधी निडर होकर फिर से वार करते हैं।
क्यों नहीं थम रहे हमले?
एसिड की आसान उपलब्धता, समाज की चुप्पी और न्याय की धीमी प्रक्रिया इस अपराध की जड़ में हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से लेकर लोकल दुकानों तक, कुछ सौ रुपये में तेजाब आसानी से मिल जाता है। कई बार अस्वीकृत प्रेम या झगड़े में पुरुषत्व की झूठी अहम बचाने के लिए यह हथियार बन जाता है।
महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल
भारत में करीब 80% एसिड अटैक पीड़िताएं महिलाएं होती हैं। अधिकतर मामलों में आरोपी पीड़िता का परिचित होता है। ऐसे में जरूरत है कि एसिड बिक्री पर सख्त निगरानी रखी जाए और फास्ट ट्रैक अदालतों में इन मामलों की सुनवाई हो ताकि न्याय में देरी न हो।
हमले के बाद क्या करें?
विशेषज्ञों के अनुसार, एसिड अटैक के बाद तुरंत ठंडे पानी से प्रभावित जगह को 15-20 मिनट तक धोना चाहिए। कपड़ों से एसिड हटाकर जल्द से जल्द पीड़ित को अस्पताल ले जाना चाहिए। डॉक्टर भी सबसे पहले पानी से ही केमिकल को साफ करते हैं। समय पर सही उपचार से जलन और नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
यह घटना न सिर्फ दिल्ली, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि जब तक समाज और सिस्टम एकजुट नहीं होंगे, तब तक ऐसी घटनाओं की आग बुझना मुश्किल है।