EU की रिपोर्ट से मचा हड़कंप, हैंड सैनेटाइजर के तत्व पर कैंसर का साया

कोरोना महामारी के दौरान हैंड सैनेटाइजर हमारे जीवन का एक जरूरी हिस्सा बन गया था। उस समय यह नियम था कि बिना हाथ धोए या सैनेटाइजर किए कोई भी घर, दफ्तर या स्कूल में प्रवेश नहीं कर सकता था। आज भी सैनेटाइजर का इस्तेमाल हर जगह होता है – चाहे मॉल हो, ऑफिस, बस या ट्रेन। लोग इसे बैक्टीरिया और वायरस से बचाव के लिए सबसे भरोसेमंद तरीका मानते हैं। लेकिन अब इसी हैंड सैनेटाइजर को लेकर एक बड़ा सवाल उठने लगा है कि क्या इसके इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है? इस सवाल के पीछे की वजह यूरोप में चल रही एक नई समीक्षा है, जिसमें सैनेटाइजर के मुख्य तत्व एथेनॉल की सुरक्षा पर चर्चा हो रही है।

एथेनॉल हाथों की सफाई के लिए पूरी तरह सुरक्षित

दरअसल, यूरोपियन यूनियन (EU) इन दिनों यह जांच कर रहा है कि क्या हैंड सैनेटाइजर जैसे बायोसाइडल प्रोडक्ट्स में मौजूद एथेनॉल को “खतरनाक रसायन” की श्रेणी में रखा जाए। कुछ वैज्ञानिक रिपोर्टों में दावा किया गया है कि एथेनॉल लंबे समय तक इस्तेमाल होने पर कैंसर और प्रजनन संबंधी दिक्कतों का कारण बन सकता है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि एथेनॉल हाथों की सफाई के लिए पूरी तरह सुरक्षित है और इसके सामान्य उपयोग से किसी गंभीर स्वास्थ्य जोखिम की संभावना नहीं होती।

ECHA की 10 अक्टूबर की रिपोर्ट से शुरू हुआ विवाद

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब यूरोपीय केमिकल्स एजेंसी (ECHA) ने 10 अक्टूबर को एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में एथेनॉल को “संभावित रूप से हानिकारक” बताया गया और कहा गया कि यह गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। एजेंसी ने सुझाव दिया कि सफाई और हाइजीन उत्पादों में एथेनॉल की जगह वैकल्पिक रसायनों पर विचार किया जा सकता है। इस मुद्दे पर ECHA की बायोसाइडल प्रोडक्ट्स कमेटी की बैठक 25 से 27 नवंबर के बीच होने वाली है, जिसमें वैज्ञानिक सबूतों की समीक्षा की जाएगी। यदि एथेनॉल को इंसानों के लिए असुरक्षित पाया गया, तो इसके विकल्प सुझाए जा सकते हैं।

चिकित्सा विशेषज्ञों की अलग है राय

हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञों की राय इससे अलग है। गांधीनगर के अमृता हॉस्पिटल में सीनियर इंटरनल मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. विशाल पटेल के अनुसार, अब तक के वैज्ञानिक प्रमाण यह साबित नहीं करते कि हैंड सैनेटाइजर में मौजूद एथेनॉल किसी गंभीर खतरे का कारण है। उनका कहना है कि सामान्य या सीमित उपयोग से किसी व्यक्ति के लिए कोई बड़ा स्वास्थ्य जोखिम नहीं होता। इसी तरह, अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) भी एथेनॉल या आइसोप्रोपाइल अल्कोहल आधारित सैनेटाइजर को हाथों की सफाई के लिए सबसे प्रभावी और सुरक्षित मानते हैं।

60 फीसदी एथेनॉल, तभी कारगर हैंड सैनेटाइजर

विशेषज्ञों के मुताबिक, हैंड सैनेटाइजर तभी कारगर होता है जब उसमें एथेनॉल की मात्रा कम से कम 60 प्रतिशत हो। यह स्तर ही बैक्टीरिया और वायरस को पूरी तरह खत्म करने में सक्षम होता है। इसकी मजबूत एंटीमाइक्रोबियल क्षमता इसे संक्रमण से बचाव का सबसे भरोसेमंद उपाय बनाती है। हालांकि, अब सबकी निगाहें यूरोपियन यूनियन की आने वाली बैठक पर टिकी हैं। अगर एथेनॉल को “हानिकारक” घोषित किया गया, तो सैनेटाइजर उद्योग के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं, लेकिन अभी के लिए विशेषज्ञ इसे सुरक्षित और आवश्यक मानते हैं।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra