2 December को पड़ रहा भौम प्रदोष, क्यों खास है यह त्रयोदशी व्रत? जानें तिथि, समय और महत्व

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी इस वर्ष मंगलवार, 2 दिसंबर को पड़ रही है और इसी तिथि पर भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। त्रयोदशी तिथि दोपहर 3:57 बजे शुरू होकर अगले दिन 12:25 बजे समाप्त होगी। मान्यता है कि त्रयोदशी के पहले दिन व्रत करना अधिक शुभ होता है। इस दिन प्रदोष काल शाम 5:24 से रात 8:07 बजे तक रहेगा और इसी समय भगवान शिव की विशेष पूजा का विधान है।

क्या है प्रदोष व्रत और क्यों माना जाता है शुभ

प्रदोष व्रत हर महीने पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और यह व्रत भगवान शिव एवं देवी पार्वती को समर्पित है। यह विशेष रूप से प्रदोष काल में किया जाता है, जो सूर्यास्त से लगभग डेढ़ घंटे पहले और बाद तक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत मन, शरीर और जीवन के सभी दोषों को मिटाता है और शिवजी की कृपा प्राप्त कराता है। इसे धन, संतान, सुख-समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति का कारक भी माना गया है।

प्रदोष काल का आध्यात्मिक महत्व

कथाओं में कहा गया है कि प्रदोष काल के दौरान भगवान शिव कैलाश पर्वत पर तांडव करते हैं और सभी देवता उनकी स्तुति में लीन रहते हैं। इसी समय शिवजी ने नंदी के सींगों के बीच नृत्य किया था, इसलिए प्रदोष पूजा में नंदी का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत किसी भी मास की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है, किंतु श्रावण और कार्तिक के प्रदोष को अत्यंत शुभ माना गया है।

व्रत का पुण्य और लाभ

शास्त्रों में वर्णित है कि प्रदोष व्रत रखने से पूर्व जन्मों और वर्तमान जीवन के पापों का नाश होता है। यह व्रत धन वृद्धि, संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति देता है। माना जाता है कि यह रोग, कष्ट और तनाव को दूर करता है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। सप्ताह के सातों दिनों में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना अलग महत्त्व और विशिष्ट फल बताया गया है।

प्रदोष व्रत के पीछे पौराणिक कारण

प्रदोष व्रत का महत्व दो प्रमुख पौराणिक घटनाओं से जुड़ा है। पहली घटना समुद्र मंथन की है, जब निकले हलाहल विष को पीकर भगवान शिव ने संसार को विनाश से बचाया। विष की ज्वाला शांत करने के लिए देवताओं ने प्रदोष काल में उनकी पूजा की थी। दूसरी घटना चंद्रदेव से जुड़ी है, जब त्रयोदशी के दिन शिवजी ने उन्हें क्षय रोग से मुक्त कर पुनर्जीवन दिया। इन्हीं कारणों से त्रयोदशी को प्रदोष व्रत का विशेष दिन माना जाता है।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra