Sanatan Tradition का नियम, एकादशी पर चावल खाना क्यों माना गया पाप समान?

सनातन धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। पूरे वर्ष में 24 एकादशी आती हैं और हर एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रखा गया व्रत मनुष्य के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और व्यक्ति को पापों से मुक्ति दिलाकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी का उपवास मन और शरीर दोनों को शुद्ध करने वाला माना गया है।

भगवान विष्णु को समर्पित तिथि

एकादशी का व्रत विशेष रूप से भगवान श्रीहरि विष्णु की आराधना के लिए रखा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन विष्णु भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। उपवास, भजन-कीर्तन और सत्संग के माध्यम से भक्त अपने मन को ईश्वर की ओर केंद्रित करते हैं। यह तिथि योग, ध्यान और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जाती है। इसलिए सभी आयु वर्ग के लोग इस व्रत को बड़े भाव और श्रद्धा से निभाते हैं।

चावल त्याग की पौराणिक कथा

एकादशी पर चावल न खाने की परंपरा बहुत प्राचीन है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, प्राचीन समय में महर्षि मेधा ने एक बड़ा यज्ञ आयोजित किया था। उसी दौरान एक भिक्षुक उनके यज्ञ में पहुंचा, लेकिन महर्षि ने उसे अपमानित कर दिया। इससे माता दुर्गा अत्यंत रुष्ट हुईं। स्वयं को दोषी समझकर महर्षि मेधा ने माता को प्रसन्न करने के लिए अपना शरीर त्याग दिया। उनके शरीर के अंश पृथ्वी में समा गए।

कहानी के अनुसार, कुछ समय बाद उसी स्थान पर चावल और जौ का जन्म हुआ। यह माना गया कि महर्षि मेधा के शरीर के अंग ही अन्न के रूप में पुनः प्रकट हुए। माता दुर्गा उनके इस त्याग से प्रसन्न हुईं और आशीर्वाद दिया कि आगे चलकर उनके अंग मानव जीवन का पोषण करेंगे। इसीलिए एकादशी पर चावल को महर्षि मेधा का अंग माना गया और इसे खाना उनके मांस और रक्त के सेवन के समान समझा गया। इसी कारण इस तिथि पर चावल का त्याग अत्यंत आवश्यक बताया गया है।

चावल त्याग का वैज्ञानिक आधार

धार्मिक मान्यता के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टि भी इस परंपरा को समर्थन देती है। चावल में जल की मात्रा अधिक होती है, और चंद्रमा के प्रभाव के कारण एकादशी के दिन इसे खाने से मन अस्थिर और चंचल हो सकता है। इससे उपवास, ध्यान और पूजा के दौरान मन केंद्रित रखने में कठिनाई आती है। इसलिए मानसिक संतुलन और शरीर की शुद्धि बनाए रखने के लिए भी एकादशी पर चावल का सेवन वर्जित माना गया है।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra