Bihar चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में कलह, फ्रेंडली फाइट पर तीखे आरोप, उम्मीदवार ने दी गोली मारने की धमकी

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली भारी हार के बाद कांग्रेस ने कारणों की तलाश शुरू कर दी है। 61 सीटों पर लड़कर केवल 6 सीट जीत पाने वाली पार्टी ने गुरुवार को विस्तृत समीक्षा बैठक बुलाई। इसमें राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल ने प्रत्याशियों, सांसदों और वरिष्ठ नेताओं से अलग-अलग बैच में फीडबैक लिया। बैठक का मकसद चुनावी नतीजों के पीछे छिपी कमियों को समझना था।

संजीव सिंह का हंगामा और धमकी

बैठक शुरू होने से पहले ही माहौल गर्म हो गया। वैशाली से उम्मीदवार रहे इंजीनियर संजीव सिंह ने बाहर से आए उम्मीदवारों और फ्रेंडली फाइट की राजनीति पर खुलकर आरोप लगाने शुरू कर दिए। जैसे-जैसे बहस बढ़ी, संजीव सिंह ने पूर्णिया प्रत्याशी जितेंद्र कुमार सहित कुछ अन्य नेताओं को गुस्से में गोली मार देने की धमकी तक दे दी, जिससे सभी हैरान रह गए। तत्काल वरिष्ठ नेताओं ने बीच-बचाव कर स्थिति संभाली।

राहुल गांधी और खरगे की सख्त चेतावनी

घटना की जानकारी मिलने पर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने स्पष्ट कहा कि पार्टी में अनुशासनहीनता किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं की जाएगी। उनका कहना था कि पार्टी में लोग आते-जाते रहते हैं, लेकिन आचरण हमेशा संयमित होना चाहिए। वे चाहते थे कि बैठक का उद्देश्य व्यक्तिगत आरोप नहीं बल्कि चुनावी कमजोरियों की सही पहचान हो।

चुनावी हार के प्रमुख कारणों पर चर्चा

बैठक के दौरान नेताओं ने हार की कई वजहें सामने रखीं। टिकट बेचने के आरोप और कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट को सबसे बड़ा नुकसान बताया गया। पप्पू यादव पर कुछ उम्मीदवारों ने अपने प्रत्याशियों की हार में भूमिका निभाने का आरोप लगाया। एसआईआर प्रक्रिया के बाद बढ़े वोटरों का रुझान बीजेपी की ओर मुड़ने की आशंका भी जताई गई। पार्टी के भीतर संगठनात्मक एकजुटता की कमी और पूरे प्रदेश में प्रभावशाली नेतृत्व का अभाव भी बड़ी वजह माना गया।

गठबंधन और भविष्य की रणनीति पर सुझाव

बैठक में कई नेताओं ने माना कि आरजेडी से गठबंधन देर से हुआ और सीट बंटवारे व सिंबल वितरण में काफी समय खराब हुआ। कुछ का कहना था कि अगर गठबंधन नहीं होता तो कांग्रेस की स्थिति इतनी खराब नहीं होती। कई प्रत्याशियों ने सुझाव दिया कि फिलहाल राजद से दूरी बनाकर संगठन को मजबूत करना चाहिए। सीमांचल में ओवैसी की मौजूदगी के कारण मुस्लिम वोटों के बिखरने का मुद्दा भी उठा। अंत में यह सलाह दी गई कि अगले चुनाव से पहले गठबंधन पर दोबारा गंभीरता से विचार किया जाए।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra