राजस्थान के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा विभाग ने एक अहम और राहत भरा फैसला लिया है। अब राज्य में बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत किया जा रहा है, ताकि छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम हो सके और उन्हें अपने अंकों में सुधार का एक और मौका मिल सके। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कोटा में आयोजित एक कार्यक्रम में इस नई व्यवस्था की घोषणा की, जिससे हजारों विद्यार्थियों को फायदा होगा।
दो बार परीक्षा देने का मिलेगा अवसर
नई व्यवस्था के अनुसार, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान (RBSE) अगले सत्र से साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करेगा। पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में होगी, जिसमें सभी छात्रों का शामिल होना अनिवार्य रहेगा। यह परीक्षा मुख्य परीक्षा मानी जाएगी। इसके बाद मई-जून में दूसरी परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसे “सेकंड चांस परीक्षा” कहा जाएगा। इस परीक्षा में वे छात्र भाग ले सकेंगे जो अपने अंकों में सुधार करना चाहते हैं या किसी विषय में असफल हो गए हैं।
फेल छात्रों के लिए भी राहत का मौका
इस नई नीति के तहत वे छात्र जो किसी विषय में फेल हो जाते हैं या पूरक (सप्लीमेंट्री) परीक्षा के लिए योग्य घोषित किए जाते हैं, उन्हें भी दूसरा मौका मिलेगा। वे अधिकतम तीन विषयों में दोबारा परीक्षा देकर अपने परिणाम में सुधार कर सकेंगे। यदि कोई विद्यार्थी दूसरी परीक्षा में भी पास नहीं हो पाता है, तो उसे पुनरावृत्ति श्रेणी में रखा जाएगा और अगले वर्ष की मुख्य परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया जाएगा। इस कदम से विद्यार्थियों को असफलता से निराश होने के बजाय खुद को बेहतर साबित करने का अवसर मिलेगा।
नियम और परीक्षा प्रणाली में बदलाव
दोनों परीक्षाएं पूरे पाठ्यक्रम पर आधारित रहेंगी और उनकी फीस समान होगी। यदि कोई छात्र किसी कारणवश पहली परीक्षा में शामिल नहीं हो पाता है, तो उसे मेडिकल सर्टिफिकेट या जिला शिक्षा अधिकारी की अनुमति लेकर दूसरी परीक्षा में बैठने की इजाजत दी जाएगी। विद्यार्थियों के अंतिम परिणाम में “बेस्ट ऑफ टू अटेम्प्ट्स” का सिद्धांत लागू होगा, यानी दोनों परीक्षाओं में से जो अंक बेहतर होंगे, वही अंतिम माने जाएंगे।
नई नीति से छात्रों को मिलेगा आत्मविश्वास
इस नई व्यवस्था से विद्यार्थियों पर परीक्षा का दबाव काफी कम होगा। अब एक बार की गलती या बीमारी के कारण किसी छात्र का पूरा वर्ष बर्बाद नहीं होगा। साथ ही, यह नीति छात्रों को आत्मविश्वास के साथ बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करेगी। शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह पहल राजस्थान की शिक्षा प्रणाली को और अधिक लचीला, छात्र-केंद्रित और भविष्य उन्मुख बनाएगी।