शेयर बाजार में लगातार तीसरे दिन गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले तीन कारोबारी सत्रों में निवेशकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। आंकड़ों के अनुसार, सेंसेक्स में तीन दिनों में 750 से अधिक अंकों की गिरावट हुई है, जबकि निफ्टी 271 अंक नीचे लुढ़क गया है। शुक्रवार के दिन सेंसेक्स में 640 अंकों तक की गिरावट देखी गई थी, जबकि निफ्टी में भी 191 अंक तक की गिरावट आई। हालांकि दिन के अंत में थोड़ी रिकवरी दिखी, लेकिन दोनों सूचकांक लाल निशान पर ही बंद हुए। कुल मिलाकर, इन तीन दिनों में बाजार से निवेशकों के करीब 6 लाख करोड़ रुपये उड़ गए हैं।
अक्टूबर की तेजी अब ठंडी पड़ी
अक्टूबर में जहां सेंसेक्स ने 4 फीसदी से अधिक की तेजी दर्ज की थी, वहीं नवंबर की शुरुआत निवेशकों के लिए निराशाजनक रही। विदेशी निवेशकों ने एक बार फिर मुनाफावसूली शुरू कर दी है, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ गया है। वहीं, हाल ही में आए आर्थिक आंकड़ों ने भी बाजार को सपोर्ट नहीं दिया है। इससे निवेशकों के बीच अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है और घरेलू बाजार की रफ्तार थम सी गई है।
विदेशी बाजारों से मिला झटका
ग्लोबल मार्केट में कमजोरी भी भारतीय शेयर बाजार की गिरावट का बड़ा कारण है। अमेरिका में फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम हो गई है, जिससे वॉल स्ट्रीट में बिकवाली बढ़ी है। एशियाई बाजारों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई , जापान का निक्केई और कोरिया का कोस्पी दोनों 2 फीसदी तक नीचे आए। इसके अलावा अमेरिका में चल रहा सरकारी शटडाउन भी निवेशकों के मन में चिंता बढ़ा रहा है। वैश्विक अस्थिरता का यह माहौल भारतीय बाजार को भी प्रभावित कर रहा है।
तकनीकी और कमोडिटी सेक्टर की कमजोरी
इस साल दुनियाभर के शेयर बाजारों की तेजी में तकनीकी और कमोडिटी कंपनियों ने अहम भूमिका निभाई, लेकिन भारत में इन सेक्टरों की मजबूत उपस्थिति नहीं होने से असर देखने को मिला। विशेषज्ञों का मानना है कि यही वजह है कि भारतीय बाजार वैश्विक तेजी के बावजूद अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।
आर्थिक संकेतकों ने भी बढ़ाई चिंता
भारत की जीडीपी में भले ही 7.8 फीसदी की वृद्धि दर रही हो, लेकिन नॉमिनल ग्रोथ घटकर 8.8 फीसदी रह गई है। इससे संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था में अभी पूरी मजबूती नहीं आई है। सर्विस सेक्टर भी अक्टूबर में पांच महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। ये सभी आंकड़े बाजार की रफ्तार पर ब्रेक लगाने का काम कर रहे हैं।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली और ट्रेड डील की अनिश्चितता
नवंबर में अब तक विदेशी निवेशकों ने 6,200 करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली की है। जुलाई से अब तक एफआईआई लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं। इसके अलावा भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर भी स्थिति साफ नहीं है। दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है, लेकिन समझौते में देरी से निवेशकों में संशय बना हुआ है। कुल मिलाकर, घरेलू और विदेशी कारकों के दबाव में शेयर बाजार फिलहाल गिरावट की लहर से उबरता नहीं दिख रहा।