बिहार के मोकामा में चुनावी माहौल उस वक्त तनावपूर्ण हो गया जब जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के चाचा दुलार चंद्र यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। पीयूष प्रियदर्शी ने आरोप लगाया कि हत्या एनडीए प्रत्याशी अनंत सिंह के समर्थकों ने की है। वहीं, अनंत सिंह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उल्टा सूरजभान सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
अनंत सिंह ने बताया पूरा घटनाक्रम
जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह ने हत्या से जुड़े घटनाक्रम की अपनी ओर से व्याख्या की। उन्होंने बताया कि वे अपने समर्थकों के साथ टाल इलाके में वोट मांग रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि सात गाड़ियां वहां खड़ी थीं। उन्हें लगा कि शायद कोई और प्रत्याशी प्रचार कर रहा है, लेकिन अचानक “मुर्दाबाद” के नारे लगने लगे। इसके बाद करीब 30 गाड़ियां आगे बढ़ गईं, जबकि 10 गाड़ियां पीछे रह गईं। अनंत सिंह का दावा है कि उन गाड़ियों पर पथराव किया गया और सड़क पर ईंट-पत्थर रखकर रास्ता रोकने की तैयारी पहले से की गई थी।
सूरजभान पर गंभीर आरोप लगाए अनंत सिंह ने
अनंत सिंह ने आरोप लगाया कि यह पूरा षड्यंत्र सूरजभान सिंह का रचा हुआ है। उन्होंने कहा कि सूरजभान की मंशा थी कि चुनाव से पहले हिंसा हो जाए ताकि माहौल बिगड़े। अनंत के अनुसार, मृतक दुलार चंद्र, सूरजभान सिंह का शागिर्द था और वह उनके इशारे पर काम करता था। अनंत ने दावा किया कि झड़प की शुरुआत दुलार चंद्र ने ही की थी। उन्होंने कहा कि विरोधी पक्ष ने पहले हमला किया, जिसके बाद हालात बिगड़ गए।
हत्या के बाद मोकामा में तनाव का माहौल
इस गोलीकांड के बाद पूरे मोकामा इलाके में भारी तनाव फैल गया है। मृतक दुलार चंद्र के समर्थकों ने सड़क पर उतरकर विरोध जताया और अनंत सिंह पर हत्या का आरोप लगाया। वहीं, पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया है। प्रशासन का कहना है कि हालात काबू में हैं और मामले की जांच की जा रही है।
बाहुबलियों की सियासी जंग में छिड़ी हिंसा
मोकामा की राजनीति लंबे समय से बाहुबलियों के प्रभाव में रही है। इस बार जदयू से अनंत सिंह और राजद से सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी आमने-सामने हैं। मोकामा सीट पर पहले चरण में वोटिंग होनी है और चुनाव से ठीक पहले हुई यह हत्या सियासी माहौल को और गर्मा गई है। अनंत सिंह पांच बार विधायक रह चुके हैं, जबकि सूरजभान सिंह पूर्व सांसद हैं। दोनों का दबदबा इलाके में गहराई तक है, और अब यह मुकाबला सिर्फ वोटों का नहीं बल्कि साख और शक्ति की जंग बन चुका है।
 
				 
								