चुनाव आयोग ने देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का ऐलान किया है। यह प्रक्रिया 28 अक्टूबर से शुरू होगी। जिन राज्यों में SIR किया जाएगा, उनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पुडुचेरी, मध्य प्रदेश, लक्षद्वीप, केरल, गुजरात, गोवा, छत्तीसगढ़ और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं। इस पुनरीक्षण के दौरान मतदाता सूची को अद्यतन किया जाएगा, नए मतदाताओं को जोड़ा जाएगा और गलतियों को सुधारा जाएगा।
आधार कार्ड पर फिर उठे सवाल
चुनाव आयोग के इस ऐलान के बाद एक बार फिर आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में इस्तेमाल किए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। इससे पहले जब बिहार में SIR प्रक्रिया शुरू हुई थी, तो इसे लेकर काफी विवाद हुआ था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसके बाद अदालत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि आधार कार्ड को 12 वैध दस्तावेजों में से एक के रूप में शामिल किया जाए। अब जब 12 राज्यों में SIR शुरू होने जा रहा है, तो वही बहस फिर से छिड़ गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त का जवाब
आधार कार्ड को लेकर उठे सवालों पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आधार का उपयोग केवल आधार एक्ट के अनुरूप ही किया जा सकता है। इस कानून की धारा 9 के अनुसार, आधार न तो नागरिकता (Citizenship) का और न ही निवास (Domicile) का प्रमाण है। यह केवल पहचान (Identity Proof) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
आधार जन्मतिथि का प्रमाण नहीं- CEC
ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कई आदेश इस बात की पुष्टि करते हैं कि आधार जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है। यहां तक कि जब कोई व्यक्ति नया आधार कार्ड डाउनलोड करता है, तो उस पर साफ लिखा होता है कि आधार न तो जन्मतिथि, न नागरिकता और न ही निवास का सबूत है। उन्होंने कहा कि लोगों में इस गलतफहमी को दूर करना जरूरी है कि आधार से किसी की नागरिकता या जन्मस्थान की पुष्टि नहीं होती।
पुराने मतदाताओं की नहीं होगी जांच
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन लोगों का जन्म 1 जुलाई 1987 से पहले भारत में हुआ है, उन्हें भारतीय नागरिक माना जाता है। ऐसे लोगों की किसी तरह की जांच नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि 1987 में जन्म लेने वालों में 18 वर्ष जोड़ने पर वर्ष 2005 आता है, इसलिए जिनका नाम 2003 या 2004 की मतदाता सूची में पहले से दर्ज है, उनकी नागरिकता या दस्तावेजों की दोबारा जांच करने की कोई जरूरत नहीं है।
SIR का उद्देश्य और महत्व
चुनाव आयोग का कहना है कि इस विशेष पुनरीक्षण का उद्देश्य मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाना है। इस प्रक्रिया में हर पात्र नागरिक को मतदाता सूची में शामिल करने का मौका मिलेगा, जबकि दोहराव और गलत नामों को हटाया जाएगा। आयोग का दावा है कि इससे चुनाव प्रक्रिया और भी मजबूत और भरोसेमंद बनेगी।