राजस्थान के आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में एक बार फिर सोने का खजाना मिलने की पुष्टि हुई है। इस जिले में अब तक कई बार सोने की खोज हो चुकी है, जिससे बांसवाड़ा अब देश के सोने के गढ़ों में अपनी पहचान बना रहा है।
नया खजाना कांकरिया गांव में
जिले के घाटोल क्षेत्र के कांकरिया गांव में तीसरी सोने की खान की पुष्टि हुई है। भूवैज्ञानिकों ने लगभग 3 किलोमीटर के क्षेत्र में सोने के संभावित भंडार के पुख्ता संकेत पाए हैं। खनन लाइसेंस मिलने के बाद जल्द ही खदान से सोना निकालना शुरू हो जाएगा। इससे पहले बांसवाड़ा के जगपुरिया और भूकिया में भी सोने की खोज हो चुकी है।
पहले भी हुआ सोने का खनन
राजस्थान सरकार ने भूकिया-जगपुरा ब्लॉक का खनन लाइसेंस पहले एक फर्म को दिया था, लेकिन फर्म ने आवश्यक राशि जमा नहीं की। अब सरकार ने नए टेंडर जारी किए हैं, जिनकी आखिरी तारीख 14 अक्टूबर थी और 3 नवंबर को इन्हें खोला जाएगा। सबसे अधिक राजस्व देने वाली फर्म को खनन लाइसेंस मिलेगा।
अनुमानित अयस्क और सोना
भूवैज्ञानिकों के अनुसार, कांकरिया क्षेत्र में 940.26 हेक्टेयर में लगभग 113.52 मिलियन टन स्वर्ण अयस्क मौजूद होने का अनुमान है। इसमें सोने की मात्रा 222.39 टन आंकी गई है। इसके अलावा, कांकरिया-गारा क्षेत्र में भी 205 हेक्टेयर में 1.24 मिलियन टन अयस्क होने की संभावना है। इन खानों से सोने के अलावा कई सह-खनिज भी निकाले जाएंगे।
आर्थिक और रोजगार लाभ
स्वर्ण खनन शुरू होने के बाद बांसवाड़ा देश के चुनिंदा चार राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां सोना निकाला जाता है। अनुमान है कि आने वाले समय में यह जिला देश की कुल सोने की मांग का लगभग 25% पूरा करने की क्षमता रखेगा। इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक, पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल्स, बैटरी और एयरबैग उद्योगों में निवेश बढ़ेगा, जिससे जिले में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह स्थानीय युवाओं के लिए बड़ा आर्थिक लाभ लेकर आएगा।