इस वर्ष करवा चौथ का पर्व 10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। यह दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर आता है। सुहागिन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं। यह व्रत हर साल सुहागिनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व माना जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल करवा चौथ पर पूजा का समय शाम 5:32 बजे से 7:10 बजे तक रहेगा। इस अवधि में महिलाएं माता करवा, चंद्रदेव और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करेंगी। मान्यता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव के दीर्घायु के लिए और द्रौपदी ने पांडवों की रक्षा के लिए यह व्रत रखा था। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करने पर अखंड सौभाग्य और वैवाहिक सुख प्राप्त होता है।
भद्रा का साया नहीं रहेगा इस साल
कई बार शुभ पर्वों पर भद्रा काल पड़ जाने से पूजा-व्रत पर रोक लग जाती है लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। पंचांग के अनुसार, 9 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को दोपहर 12:37 से रात 10:54 बजे तक भद्रा काल रहेगा। यानी करवा चौथ के दिन भद्रा पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। इसलिए 10 अक्टूबर को भद्रा का साया नहीं रहेगा और महिलाएं निर्भय होकर पूजा कर सकेंगी।
भद्रा क्या होती है और क्यों मानी जाती है अशुभ
ज्योतिष के अनुसार, भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन मानी जाती है। उसका स्वभाव उग्र होने के कारण ब्रह्मा जी ने उसे पंचांग के विष्टि करण में स्थान दिया। भद्रा तीनों लोकों स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और पाताललोक में घूमती रहती है। जब भद्रा पृथ्वी लोक में होती है, तब उस समय शुभ कार्य जैसे विवाह, पूजा, व्रत आदि नहीं किए जाते।
भद्रा कब मानी जाती है शुभ
यदि भद्रा का वास स्वर्गलोक में होता है, तो पृथ्वी पर उसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। वहीं, जब वह पाताललोक में होती है, तो यह काल शुभ फलदायी माना जाता है। इसलिए पंचांग देखकर ही शुभ मुहूर्त में पूजा करना हमेशा उचित होता है।
भद्रा रहित शुभ करवा चौथ
इस बार का करवा चौथ पूरी तरह भद्रा रहित रहेगा। महिलाएं शाम 5:32 से 7:10 के बीच भगवान शिव-पार्वती और चंद्रमा की पूजा कर सकेंगी। यह दिन सुहागिनों के लिए अखंड सौभाग्य और मंगलकामना का प्रतीक रहेगा।