साल 2025 का नोबेल पुरस्कार मेडिसिन के क्षेत्र में Peripheral Immune Tolerance पर किए गए शोध को मिला है। इस रिसर्च से इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से होने वाली बीमारियों की पहचान और उनका इलाज बेहतर तरीके से किया जा सकेगा। नोबेल पुरस्कार की घोषणा सोमवार को की गई, जिसमें तीन वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से सम्मानित किया गया। अमेरिका की मैरी ई. ब्रूंको, सैन फ्रांसिस्को के फ्रेड रैम्सडेल और जापान के शिमोन साकागुची को यह पुरस्कार दिया गया।
Peripheral Immune Tolerance क्या है?
दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग के डायरेक्ट प्रोफेसर डॉ सुभाष गिरि के अनुसार, इम्यून सिस्टम शरीर का सैनिक है जो हमें बीमारियों और संक्रमण से बचाता है। लेकिन कभी-कभी इम्यून सिस्टम गलती से शरीर की अपनी सेल्स पर हमला कर देता है, जिससे ऑटोइम्यून बीमारियां होती हैं, जैसे रूमेटाइड आर्थराइटिस और ल्यूपस।
Peripheral Immune Tolerance उस प्रक्रिया को कहते हैं जो इम्यून सिस्टम को अपने ही अंगों पर हमला करने से रोकती है। इस रिसर्च से यह समझने में मदद मिलेगी कि क्यों शरीर कभी-कभी अपनी ही सेल्स पर हमला करता है और कैसे इन बीमारियों का इलाज संभव है।
कैसे काम करता है Peripheral Immune Tolerance
जीटीबी हॉस्पिटल के डॉ अजित कुमार बताते हैं कि Peripheral Immune Tolerance तीन तरीकों से काम करता है:
एनर्जी (Anergy) – T-cells निष्क्रिय हो जाते हैं अगर उन्हें सही सिग्नल नहीं मिलता।
सप्रेशन (Suppression) – इम्यून रिस्पॉन्स को नियंत्रित करना।
एपोप्टोसिस (Apoptosis) – गलत T-cells का प्रोग्राम्ड सेल डेथ।
यदि यह सिस्टम ठीक से काम नहीं करता तो शरीर अपनी ही कोशिकाओं को बाहरी दुश्मन समझकर हमला कर देता है। उदाहरण के लिए, डायबिटीज में इम्यून सिस्टम पैनक्रियास की सेल्स को नष्ट कर देता है और रूमेटॉइड आर्थराइटिस में शरीर अपने ही जोड़ों पर हमला करता है।
Peripheral Immune Tolerance रिसर्च का महत्व
इस रिसर्च की मदद से ऑटोइम्यून बीमारियों का स्थायी इलाज विकसित किया जा सकता है। कई वैज्ञानकों के प्रयासों से इस रिसर्च के आधार पर नई दवाइयां और इलाज खोजे जा रहे हैं।
इम्यूनिटी को मजबूत करने के आसान उपाय
संतुलित आहार लें, जिसमें प्रोटीन, हरी सब्ज़ियाँ और मौसमी फल शामिल हों।
रोज़ाना थोड़ी धूप में समय बिताएं ताकि विटामिन-D मिले।
रोज कम से कम 8 गिलास पानी पिएं।
रोज 7-8 घंटे नींद लें।
Peripheral Immune Tolerance पर यह नोबेल पुरस्कार न केवल चिकित्सा विज्ञान में क्रांति ला सकता है, बल्कि भविष्य में ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज को और आसान बना सकता है।