Karwa Chauth 2025: मिट्टी के करवे से क्यों दिया जाता है अर्घ्य, जानें इसका धार्मिक और पौराणिक महत्व

हर साल करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना के लिए रखती हैं। यह व्रत न केवल श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है, बल्कि इसमें कई धार्मिक परंपराएं भी जुड़ी हैं। इस साल करवा चौथ 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन की पूजा में मिट्टी का करवा विशेष महत्व रखता है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों करवा चौथ पर चंद्रमा को मिट्टी के करवे से ही अर्घ्य दिया जाता है।

मिट्टी के करवे का धार्मिक महत्व

करवा चौथ की पूजा में मिट्टी का करवा मुख्य पूजा सामग्री मानी जाती है। महिलाओं द्वारा चंद्रमा को जल अर्पित करने के लिए इसी करवे का उपयोग किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मिट्टी के करवे से अर्घ्य देने से ब्रह्मा जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसे बेहद शुभ माना गया है।

पांच तत्वों का प्रतीक है मिट्टी का करवा

मिट्टी का करवा केवल एक बर्तन नहीं, बल्कि प्रकृति के पांच तत्वों मिट्टी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतीक माना गया है। ये पांचों तत्व मानव जीवन और दांपत्य संबंधों के संतुलन का आधार हैं। इसी कारण मिट्टी के करवे से अर्घ्य देना जीवन में समरसता, प्रेम और स्थायित्व का संदेश देता है।

देवी स्वरूप और पवित्रता का प्रतीक

करवा चौथ के अवसर पर मिट्टी के करवे को देवी स्वरूप भी माना जाता है। महिलाएं इसकी विधिवत पूजा करती हैं और इसमें मिठाई, सिंदूर, चूड़ी व अन्य सुहाग सामग्री रखती हैं। यह करवा सौभाग्य, पवित्रता और नारी शक्ति का प्रतीक है। मान्यता है कि मिट्टी से बना करवा देवी माताओं को प्रसन्न करता है और आशीर्वाद स्वरूप परिवार में खुशियां लाता है।

पौराणिक कथाओं से जुड़ा है करवे का महत्व

पुराणों के अनुसार, माता सीता और माता द्रौपदी ने भी करवा चौथ का व्रत रखते हुए मिट्टी के करवे से चंद्रदेव को अर्घ्य दिया था। तभी से यह परंपरा चलन में आई और इसे शुभ माना गया। ऐसा माना जाता है कि मिट्टी का करवा साधना और समर्पण का प्रतीक है, जिससे वैवाहिक जीवन में प्रेम और एकता बनी रहती है।

प्रेम और समर्पण का संदेश

मिट्टी के करवे से चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी गहरी है। यह पति-पत्नी के बीच विश्वास, समर्पण और प्रेम का प्रतीक मानी जाती है। जब महिला मिट्टी के करवे से अर्घ्य देती है, तो वह अपने वैवाहिक जीवन में स्थिरता और दीर्घायु की कामना करती है। इस प्रकार, करवा चौथ पर मिट्टी का करवा सिर्फ एक पूजा सामग्री नहीं, बल्कि श्रद्धा, परंपरा और प्रेम का प्रतीक है। इसी के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्रत पूर्ण होता है और जीवन में सौभाग्य, खुशहाली और एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra