National Awards 2025: मोहनलाल को दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड, शाहरुख-मैसी बने बेस्ट एक्टर, बॉलीवुड-साउथ का ब्लॉकबस्टर जश्न!

दिल्ली के विज्ञान भवन में 23 सितंबर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह का आयोजन हुआ। इस मौके पर हिंदी, दक्षिण भारतीय और क्षेत्रीय सिनेमा के कई सितारों को उनके शानदार योगदान के लिए सम्मानित किया गया। समारोह में फिल्मी दुनिया की चमक-धमक के साथ कलाकारों की मेहनत और प्रतिभा का जश्न देखने को मिला।

मोहनलाल को मिला दादासाहेब फाल्के पुरस्कार

मलयालम सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मोहनलाल को भारतीय सिनेमा में उनके साढ़े चार दशक लंबे योगदान के लिए इस बार का दादासाहेब फाल्के पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार उनके बेहतरीन अभिनय और सिनेमाई सफर की गवाही देता है।

बेस्ट एक्टर और एक्ट्रेस के नाम

इस बार बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दो सितारों को मिला शाहरुख खान को जवान और विक्रांत मैसी को 12वीं फेल के लिए। वहीं, बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब रानी मुखर्जी के नाम रहा, जिन्हें मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे में दमदार अभिनय के लिए सम्मानित किया गया।

बड़ी फिल्मों का जलवा

समारोह में कई चर्चित फिल्मों का भी दबदबा रहा। रॉकी और रानी की प्रेम कहानी को बेस्ट पॉपुलर फिल्म, 12वीं फेल को बेस्ट फीचर फिल्म, और कटहल को बेस्ट हिंदी फिल्म का अवॉर्ड मिला। वहीं, सैम बहादुर ने नेशनल वैल्यूज प्रमोट करने वाली फिल्म और बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन जैसे अवॉर्ड अपने नाम किए।

तकनीकी श्रेणियों में भी धमाल

फिल्मों की तकनीकी खूबियों को भी सम्मान मिला। एनिमल को बेस्ट साउंड डिजाइन और बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर का अवॉर्ड मिला, जबकि द केरल स्टोरी के लिए सुदिप्तो सेन को बेस्ट डायरेक्शन से नवाजा गया। हनु-मान ने बेस्ट एनिमेशन, वीएफएक्स और एक्शन डायरेक्शन जैसे खिताब जीतकर साउथ इंडस्ट्री की ताकत दिखाई।

क्षेत्रीय सिनेमा को मिला सम्मान

राष्ट्रीय पुरस्कारों में क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों ने भी अपनी धाक जमाई। भगवंत केसरी (तेलुगू), पार्किंग (तमिल), गोड्डे गोड्डे चा (पंजाबी), श्यामचि आई (मराठी) और उल्लुझुकु (मलयालम) जैसी फिल्मों को सम्मान मिला। इससे साफ है कि भारतीय सिनेमा की असली ताकत उसकी विविधता है।

नॉन-फीचर फिल्मों को भी मिली पहचान

डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्मों को भी इस मंच पर सम्मानित किया गया। गिद्ध द स्कैवेंजर (हिंदी) को बेस्ट शॉर्ट फिल्म, द फ्लॉवरिंग मैन (हिंदी) को बेस्ट नॉन-फीचर फिल्म और लिटिल विंग्स (तमिल) को बेस्ट सिनेमेटोग्राफी अवॉर्ड से नवाजा गया।

इस बार के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों ने दिखा दिया कि भारतीय सिनेमा केवल बॉलीवुड तक सीमित नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय सिनेमा, तकनीकी कलाकारों और नए डायरेक्टर्स की मेहनत भी उतनी ही सराही जा रही है।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra