SP के ‘किलेबंद’ नेता को हाईकोर्ट से राहत, क्वालिटी बार केस में मिली जमानत, अब फिर से मैदान में दिखेंगे आज़म खान

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म खान को आखिरकार बड़ी राहत मिल गई है। सीतापुर जेल से उनकी रिहाई का परवाना पहुंच चुका है और कल सुबह करीब 8 बजे उन्हें रिहा किया जाएगा। जेल प्रशासन ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। पिछले 23 महीनों से जेल में बंद आज़म खान अब एक बार फिर से राजनीतिक मैदान में लौट सकेंगे।

हाईकोर्ट से मिली जमानत

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्वालिटी बार पर कब्जे के मामले में आज़म खान को जमानत दे दी थी। 21 नवंबर 2019 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी, जबकि हाईकोर्ट ने 21 अगस्त को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पहले उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उन्हें राहत मिल गई।

2014 का केस, 2019 में एफआईआर

क्वालिटी बार पर कब्जे का यह विवाद साल 2014 से जुड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में एफआईआर पांच साल बाद यानी 2019 में दर्ज हुई। उस समय आज़म खान का नाम इसमें शामिल नहीं था। उनकी पत्नी और बेटे को आरोपी बनाया गया था। हालांकि, 2024 में जब इस केस की जांच दोबारा शुरू हुई, तब उनका नाम भी आरोपियों की लिस्ट में जोड़ा गया और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

पांच साल की देरी पर उठे सवाल

आज़म खान की ओर से अदालत में यह दलील दी गई कि एफआईआर दर्ज करने में पांच साल की देरी क्यों की गई और उन्हें अचानक आरोपी क्यों बनाया गया। अभियोजन पक्ष इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देने का फैसला सुनाया।

आज़म खान और परिवार पर मुकदमों की भरमार

आज़म खान और उनके परिवार पर मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है। जमीन कब्जाने, धोखाधड़ी और धमकी जैसे गंभीर आरोपों से जुड़े करीब 200 केस दर्ज हैं। इनमें से अकेले आज़म खान पर ही 100 से ज्यादा मुकदमे हैं। ज्यादातर मामले 2017 के बाद दर्ज हुए, जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता से बाहर हो गई। हालांकि, हाल के दिनों में उन्हें कई मामलों में राहत मिल चुकी है।

राजनीतिक जमीन पर वापसी की उम्मीद

आज़म खान की रिहाई को समाजवादी पार्टी के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। जेल से बाहर आने के बाद उनकी सक्रिय राजनीति में वापसी की संभावना है। रामपुर और आसपास के इलाकों में उनकी पकड़ अभी भी मजबूत मानी जाती है। ऐसे में उनकी रिहाई से सपा कार्यकर्ताओं में उत्साह और विरोधियों में हलचल बढ़ना तय है।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra