21 सितंबर 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण इस बार भारत में प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देगा। यह अफ्रीका, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में नजर आएगा। भारत में चूंकि यह दिखाई नहीं देगा, इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा लेकिन शास्त्रों और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार जब भी सूर्य पर ग्रहण लगता है, तो उसका असर पूरी सृष्टि और सभी प्राणियों पर पड़ता है। इसलिए इससे जुड़े नियम और सावधानियां मानना ज़रूरी माना जाता है।
धार्मिक मान्यता और खान-पान के नियम
हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण को अशुभ प्रभाव वाला समय माना गया है। इस दौरान भोजन पकाने और खाने की मनाही होती है। शास्त्रों में साफ लिखा गया है कि ग्रहण के दौरान रखा या पकाया भोजन अशुद्ध हो जाता है और उसे ग्रहण समाप्ति के बाद नहीं खाना चाहिए।
ग्रहण से पहले क्या खाना चाहिए?
ग्रहण शुरू होने से लगभग 12 घंटे पहले हल्का और सात्त्विक भोजन करना चाहिए।
दाल, चावल, रोटी और सब्ज़ी जैसे साधारण और पचने वाले आहार ही लें।
ग्रहण से पहले बनाए गए भोजन को सुरक्षित रखने के लिए उसमें तुलसी पत्र या कुश डालना चाहिए।
ग्रहण के दौरान किन्हें क्या खाना चाहिए?
गर्भवती महिलाओं को इस अवधि में भोजन करने और बाहर निकलने की सख्त मनाही होती है।
बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए अपवाद है कि जरूरत पड़ने पर उन्हें तुलसी या कुश मिले पानी, दूध या हल्का फलाहार दिया जा सकता है।
क्या नहीं खाना चाहिए?
ग्रहण लगते ही रखा हुआ भोजन त्याज्य हो जाता है।
मांसाहार, अंडा, प्याज़-लहसुन जैसे तामसिक भोजन ग्रहण काल में पूरी तरह वर्जित हैं।
तला-भुना और भारी भोजन भी पाचन के लिए हानिकारक माना गया है, इसलिए इससे परहेज़ करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान नया भोजन पकाना भी वर्जित है।
ग्रहण के बाद क्या करें?
ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना और घर की शुद्धि करना आवश्यक है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस समय भगवान का स्मरण, दान-पुण्य और पूजा-पाठ ग्रहण दोष को शांत करते हैं। इसके बाद केवल ताज़ा भोजन ही करना चाहिए। भले ही यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन धार्मिक परंपरा और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार इससे जुड़ी सावधानियां हर जगह लागू होती हैं। ग्रहण से पहले सात्त्विक भोजन, ग्रहण के दौरान भोजन त्याग और बाद में स्नान-पूजन के साथ ताज़ा आहार, इन्हें अपनाकर व्यक्ति ग्रहण के दुष्प्रभाव से बच सकता है। तुलसी पत्र और कुश का प्रयोग इस दौरान बेहद शुभ और आवश्यक माना गया है।