21 September को पितृपक्ष का समापन, शुभ-शुक्ल योग में तर्पण, पितरों की कृपा से चमकेगा भाग्य

श्राद्ध पक्ष चल रहा है और अब सभी को इसके आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या का इंतजार है। इस बार यह तिथि 21 सितंबर को पड़ रही है। इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पितरों के लिए सबसे पवित्र माना गया है। यही दिन पितृपक्ष का समापन भी करता है।

पितरों की विदाई का दिन

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान, जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या को पितरों की विदाई का दिन माना जाता है। इस दिन वे अपने लोक को लौट जाते हैं और जाते-जाते अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इसे पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहा जाता है।

विशेष महत्व

सर्वपितृ अमावस्या पर उन पितरों का भी श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि याद नहीं होती। इसीलिए इसे मोक्षदायिनी अमावस्या कहा गया है। ब्रह्म पुराण में उल्लेख है कि उचित समय और विधि से दिया गया दान और तर्पण पितरों को संतुष्ट करता है।

श्राद्ध और तर्पण की विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर बिना साबुन लगाए स्नान करने की परंपरा है। साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर सात्विक भोजन तैयार करें और पितरों के निमित्त श्राद्ध करें। भोजन का कुछ हिस्सा कौवे, गाय और कुत्ते के लिए अवश्य निकालें। संध्या के समय सरसों के तेल के चार दीपक जलाकर घर की चौखट पर रखना शुभ माना जाता है।

शुभ तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार अमावस्या तिथि 20 सितंबर रात 12:16 बजे से शुरू होकर 21 सितंबर रात 1:23 बजे तक रहेगी। यही समय तर्पण और पिंडदान के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

बनने वाले योग

शुभ योग- 21 सितंबर को सुबह से शाम 7:52 बजे तक रहेगा। इस दौरान तर्पण करने से पितरों की विशेष कृपा मिलती है।

शुक्ल योग- शुभ योग के बाद आरंभ होगा और यह भी श्राद्ध के लिए मंगलकारी माना जाता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 9:32 बजे से अगले दिन तक रहेगा। इसमें किया गया तर्पण हर कार्य में सफलता दिलाता है।

शिववास योग- इस योग में भगवान शिव कैलाश पर माता पार्वती संग विराजमान रहते हैं। इस समय किया गया तर्पण पितृ दोष का नाश करता है और जीवन में शांति लाता है।

सर्वपितृ अमावस्या सिर्फ पितरों को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि यह परिवार की उन्नति और शांति का मार्ग भी खोलता है। इस दिन पूरे मन और श्रद्धा से किए गए श्राद्ध व तर्पण से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीर्वाद जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।

Rishabh Chhabra
Author: Rishabh Chhabra