आज की भागदौड़ भरी और कंपटीशन से भरी लाइफस्टाइल में तनाव और चिंता आम हो गए हैं। कई बार यही तनाव इतना बढ़ जाता है कि अचानक व्यक्ति को लगता है कि उसकी सांस रुक रही है या दिल धड़कना बंद कर देगा। इस स्थिति को पैनिक अटैक (Panic Attack) कहते हैं। इसमें व्यक्ति को तेज घबराहट, डर और बेचैनी का अनुभव होता है। सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ एक सामान्य स्थिति है या किसी मानसिक बीमारी का संकेत?
क्या है पैनिक अटैक और पैनिक डिसऑर्डर?
गाज़ियाबाद जिला अस्पताल के डॉ. एके विश्वकर्मा बताते हैं कि पैनिक अटैक एक तरह का अज्ञात भय है, जो अचानक दौरे की तरह आता है। इसमें पसीना आना, हाथ-पैरों में झनझनाहट, सांस लेने में परेशानी और दिल की धड़कन तेज़ होना शामिल है। एक-दो बार पैनिक अटैक आना मानसिक रोग नहीं है। लेकिन अगर यह बार-बार होने लगे और आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित करे तो यह Panic Disorder कहलाता है, जो मानसिक स्वास्थ्य समस्या है और इसका इलाज ज़रूरी है।
क्यों बढ़ रहे हैं पैनिक अटैक के मामले?
बीते कुछ वर्षों में पैनिक अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। कोरोना महामारी और उसके बाद की परिस्थितियों ने इसे और बढ़ावा दिया।
कोविड-19 की गंभीर स्थिति झेल चुके मरीजों में यह समस्या अधिक देखी गई है।
कड़वे अनुभव, भविष्य की असुरक्षा और लगातार तनाव ने पैनिक अटैक को आम बना दिया है।
पैनिक अटैक के कारण
शारीरिक कारण – हृदय रोग, हार्ट अटैक या कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जुड़े लोग इस स्थिति में आ सकते हैं।
मानसिक कारण – वैवाहिक कलह, तलाक, नौकरी छूटने का डर, आर्थिक संकट या किसी करीबी की मौत।
Past Trauma – बचपन के कड़वे अनुभव या जीवन में गहरे दुख।
सामाजिक कारण – अकेलापन और मन की बात किसी से न कह पाना।
विशेष स्थितियां – बंद जगहों या भीड़ में फंसना भी ट्रिगर कर सकता है।
पैनिक अटैक से बचाव कैसे करें?
सामाजिक रूप से सक्रिय रहें और अपने मन की बात साझा करें।
गहरी सांस लेने और मेडिटेशन का अभ्यास करें।
संतुलित आहार लें, जंक फूड से परहेज़ करें।
नियमित योग और प्राणायाम करें, इससे नर्वस सिस्टम मज़बूत होता है।
आंवला, संतरा और मौसमी जैसे विटामिन-सी युक्त फल खाएं।
ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से तुरंत परामर्श लें।
पैनिक अटैक अचानक आने वाला डर है, लेकिन यह व्यक्ति की पूरी जीवनशैली को प्रभावित कर सकता है। अगर यह बार-बार हो रहा है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। ध्यान, व्यायाम, सही आहार और डॉक्टर की सलाह से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। समय रहते सही कदम उठाना ही सबसे बेहतर इलाज है।
